Sonia Jadhav

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लेख इयर कविता प्रतियोगिता- 7) अनाज

कविता का शीर्षक- अनाज

मैं एक किसान हूँ,
दिनभर तपती धूप में ,
हल चलाकर, अनाज उगाता हूँ।

अमीर लोग जिस अनाज को बेस्वाद कहकर,
फैंक देते हैं कचरे के डिब्बे में,
उस अनाज के लिए मैं खेत में,
दिन रात पसीना बहाता हूँ।

अनाज उगाकर भी मैं, मेरा परिवार
भरपेट खाने के लिए तरसता है।
तुम्हें अनाज बर्बाद करते देख,
मेरा सीना जलता है।

जिस किसान को तुम गरीब बेचारा समझते हो,
वही किसान अपने खेतों में उगते अनाज से,
तुम्हारा और तुम्हारे परिवार का पेट भरता है।
महंगाई और मौसम की मार सहकर भी,
किसान खेतों में फसल उगाने का साहस करता है।

मान नहीं चाहिये तुमसे, बस तुम अन्न का मत अपमान करो।
जो मिलता है थाली में, उसे  पूरा ग्रहण करो,
उसमें छिपी किसान की मेहनत का सम्मान करो।

❤सोनिया जाधव

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3 Comments

Astha Singhal

16-Feb-2022 06:04 PM

बहुत खूबसूरत कविता 👍

Reply

Seema Priyadarshini sahay

16-Feb-2022 03:54 PM

दिल को छू गई आपकी रचना मैम

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जी बेहतरीन रचना।

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