Sonia Jadhav

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मेरी अना- भाग 10

भाग 10

अना के फोन रखने के बाद अनिकेत काफी समय तक उसके बारे में सोचता रहा। उसे गुस्सा आ रहा था अपने आप पर, बिना उसका पक्ष जाने कैसे उसने अना को गलत मानकार उससे रिश्ता तोड़ लिया था। उसने भी तो वही किया जो उसके पिता ने उसके साथ किया था…..बिना उसका पक्ष जाने उसे थप्पड़ जड़ दिया था और ना जाने क्या क्या कह दिया था।

आज अनिकेत को अपने बर्ताव पर बेहद शर्मिंदगी महसूस हो रही थी अपने बर्ताव पर जो उसने अना के साथ किया था। उसके पापा की गयी गलती की सजा उसने अना को जो दी थी।

अगर अना का साथ न होता तो वो कब का बिखर चुका होता। आज उसी के दिए आत्मविश्वास के कारण ही तो इतने बड़े कॉलेज में अपना मनपसन्द विषय पढ़ पा रहा हूँ। वो मन ही मन अना से बार-बार माफ़ी माँग रहा था।

आज फिर अना की कोशिशों ने अनिकेत और अना के रिश्ते को संभाल लिया था।

एकतरफ जहाँ अना और अनिकेत की दोस्ती की गाड़ी सही दिशा में सुचारू रूप से चल रही थी, वहीँ पाखी के दिल में अनिकेत के लिए भावनाएं जन्म लेने लगी थी। अनिकेत के व्यक्तित्व में जो गम्भीरता थी वो पाखी को आकर्षित करती थी। वो उन आवारा लड़कों की तरह नहीं था जो उसकी खूबसूरती के कारण उससे दोस्ती करने के लिए लालायित रहते थे।

अनिकेत से वो जब भी बात करती तो उसे लगता जैसे किसी परिपक्व इंसान से बात कर रही हो। वो अक्सर अनिकेत के लिखे लेख पढ़ा करती थी। उसके लेखन से तो वो पहले ही प्रभावित थी, अब उसके व्यक्तित्व की गहराइयों में भी वो डूबने लगी थी।

अनिकेत को पाखी की भावनाओं का एहसास था इसलिए जितना सम्भव हो वो उसे नजरअंदाज करने की कोशिश करता था। उसके लिए तो सिर्फ अना ही बनी थी, वो उसी में अपना भविष्य देखता था।

देखते-देखते अनिकेत बी. ए के दूसरे साल में आ गया और अना तीसरे साल में। अना अक्सर कॉलेज से ही अनिकेत को फोन करती थी या फिर शाम को क्लास जाते वक्त। दस मिनट से ज्यादा दोनों एक दूसरे से बात नहीं करते थे। अना ने अनिकेत को बताया था कि वो शाम को कोचिंग सेंटर में जाकर बच्चों को अंग्रेजी पढ़ना सिखाती है। यह पैसे वो एयरहोस्टेस के कोर्स की फीस देने के लिए जमा कर रही थी।

अनिकेत एक बार फिर प्रभावित हुए नहीं रह सका था अना से। एक वो था जो माता पिता के पैसे से अपनी पढ़ाई पूरी कर रहा था और एक अना थी जो अपने एयरहोस्टेस बनने के सपने को पूरा करने के लिए पार्ट टाइम नौकरी कर रही थी। अनिकेत के दिल में अना के लिए सम्मान और भी बढ़ गया था।

पाखी अक्सर अनिकेत को फोन पर बात करते देखती थी रोज। पूछने पर पता चला अनिकेत की बचपन की दोस्त अना थी जो उसे प्रतिदिन फोन किया करती थी। पाखी ने अनिकेत के मन की थाह लेने के लिए उससे पूछा…… तुम अना से प्यार करते हो क्या, वो तुम्हारी गर्लफ्रेंड ???

नहीं, वो मेरी गर्लफ्रेंड नहीं है, मेरी सबसे अच्छी दोस्त है। रही प्यार की बात तो हाँ तो जो प्यार दो दोस्तों के बीच होता है, वो हमारे बीच भी है।
पाखी इस वक्त मेरा सारा ध्यान मेरे करियर पर है। प्यार के लिए उम्र पड़ी है और फिलहाल मुझे प्यार में कोई दिलचस्पी नहीं है।

अनिकेत ने यह सारी बातें पाखी को अपने से दूर करने के लिए कही थी। वो नहीं चाहता था कि पाखी खुद को उसमें उलझाए। अनिकेत के लिए अना क्या मायने रखती है, यह सिर्फ वो जानता था और अना समझती थी। अना उसका भविष्य थी। हालाँकि यह बात उसने कभी अना से कही नहीं थी। उसने तय कर रखा था जिस दिन वो कमाने लगेगा उसी दिन अना को अपने दिल की बात कहेगा।

अनिकेत की बातें सुनकर पाखी दुखी तो जरूर हुई थी लेकिन उसके मन अनिकेत को लेकर जो जज़्बात थे उनमें जरा भी फर्क नहीं पड़ा था। पाखी का यह आखिरी साल था और अनिकेत का दूसरा। कॉलेज छोड़ने से पहले वो अनिकेत को अपने दिल की बात बताना चाहती थी। वैसे भी अनिकेत के अनुसार अना सिर्फ उसकी दोस्त थी, प्यार नहीं लेकिन पाखी को इस पर जरा भी विश्वास नहीं था।

पाखी ने एक दिन मौका पाकर अनिकेत से अपने दिल की बात कह दी, जिसे अनिकेत ने साफ शब्दों में नकार दिया। पाखी ने गुस्से में कहा…..तुम्हारी ना कि वजह अना तो नहीं है ना? देखो, अगर ऐसा है तो तुम मुझे साफ़-साफ़ क्यों नहीं कह देते कि तुम अना से प्यार करते हो।

अनिकेत ने इतना ही कहा कि अना को इन सब बातों में लाने की जरूरत नहीं है। उसे फिलहाल प्यार में दिलचस्पी नहीं है और न ही उन दोनों के बीच प्यार जैसा कुछ है।

पाखी मन ही मन हैरान थी यह सोचकर कि जिसकी कविताओं में इतना दर्द हो, वो इंसान इतना रुखा कैसे हो सकता है? जहाँ मुझसे दोस्ती करने के लिए कॉलेज के इतने लड़के तरसते हैं, वहाँ उसे मेरी खूबसूरती में, मेरे नज़दीक आने में कोई दिलचस्पी नहीं।

ना अनिकेत मेरे जज़्बात समझता है ना ही मेरा रूप उसे आकर्षित कर पा रहा है। कुछ तो है अना और अनिकेत के बीच जो दोस्ती से कई गहरा है।

पाखी के मन को अनिकेत की ना से शायद इतनी ठेस नही लगी थी, जितनी ठेस उसके अहंकार को लगी थी। आकर्षण को अक्सर युवा वर्ग प्रेम समझ लेता है और फ़िल्मी प्रेम गीत सुन-सुनकर स्वयं को हीर राँझा के वंशज मान बैठता है। पाखी अपनी पसन्द को प्रेम समझ बैठी थी। लेकिन उसे यह भी एहसास था वो चाहे कुछ भी कर ले अनिकेत की ना को हाँ में बदलना असम्भव था।

एक दिन अनिकेत और पाखी कैंटीन में साथ बैठे हुए थे। अनिकेत ने जेब से फोन निकाल कर रखा ही था मेज पर अना को मैसेज करने के लिए तभी उसे किसी ने बुला लिया और वो फोन वहीँ छोड़कर बात करने के लिए चला गया। तभी अना का फोन आया अनिकेत के फोन पर जिसे पाखी ने जान बूझकर उठा लिया।

अना अनिकेत के फोन पर लड़की की आवाज़ सुनकर हड़बड़ा गयी, चंद सेकण्ड्स के लिए उसे लगा कहीं उसने गलत नंबर तो नहीं मिला दिया। फिर देखा नंबर तो अनिकेत का ही है, पर ये लड़की कौन है जो उसके फोन से हैलो बोल रही है।

अना ने कहा…..मैं अना बोल रही हूँ अनिकेत के बचपन की दोस्त। आप कौन बोल रही हैं और अनिकेत कहाँ है?

पाखी ने बड़े प्यार से कहा…..ओह अना तुम, मैं पाखी बोल रही हूँ अनिकेत की गर्लफ्रेंड।
अरे! उसने तुम्हें बताया नहीं क्या हमारे बारे में? वो अक्सर तुम्हारे बारे में बातें करता है। अभी वो फिलहाल मेरे लिए कॉफी लेने गया है। जब वो आयेगा तो मैं तुम्हारी उससे बात करवा दूँगी।

यह कहकर झट से पाखी ने फोन काट दिया और मुस्कुराने लगी।

वो जानती थी कि अनिकेत तो उसका होने से रहा लेकिन  उसकी गर्लफ्रेंड वाली बात से कुछ दिनों के लिए ही सही, अना और अनिकेत के बीच तूफ़ान तो आयेगा ही, इतना तो उसे यकीन था। कुछ लोगों के लिए अपनी खुशी इतनी मायने नहीं रखती, जितना दूसरों का दुख मायने रखता है।

वो मन ही मन सोच रही थी.....मुझे रिजेक्ट करने का कुछ खामियाजा तो अनिकेत को और उसकी अना को भुगतना ही पड़ेगा।

❤सोनिया जाधव


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2 Comments

सिया पंडित

19-Feb-2022 02:02 PM

👍👍👍👍👌👌👌👌

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Seema Priyadarshini sahay

17-Feb-2022 06:23 PM

अना और अनि के बीच आ गया तूफान आप बहुत ही अच्छा लिखती हैं मैम

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