नारी
नारी
जटिल भी हो और बहुत सरल
कोमल हो जैसे नीलकमल
अबला भी और सबला भी तुम
नारी तुम हो एक मगर रूप तुम्हारे हैं अनेक।
तुम जननी हो तुम माता हो
इस जीवन की भाग्यविधाता हो
ममता की खुद एक मूरत हो
साक्षात प्रेम की सूरत हो।
मां बन वात्सल्य लुटाती हो
पत्नी बन खुद को मिटाती हो
बहन बनो तो भाई की छाया तुम
पुत्री बन संस्कारों का दायित्व उठाती हो।
तुम देवी भी खुद ही अर्चना
ईश्वर की सुंदर परिकल्पना
शक्ति का उन्माद हो तुम
प्रेम का एक ब्रह्मांड हो तुम।
सदियों से पिसती आई हो, तिल तिल कर रिसती आई हो
फिर भी धरा सरीखी तुम, फली फूली हो, नहीं भूली हो
बन स्नेह की सरिता तुम, सब पर भरपूर लुटाई हो
दुर्गा भी तुम काली भी तुम, हो कोमल पुष्प की डाली तुम।
आभार – नवीन पहल – १७.०२.२०२२🙏🌹😀❤️
# प्रतियोगिता हेतु
Shrishti pandey
18-Feb-2022 10:59 AM
Nice
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Punam verma
18-Feb-2022 08:56 AM
Very nice sir
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Niraj Pandey
17-Feb-2022 09:43 PM
बहुत ही बेहतरीन👌
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