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लेखनी कहानी -18-Feb-2022 ख्वाहिशें

#दैनिक लेखनी प्रतियोगिता हेतु

ख्वाहिशें

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सपनों की उड़ान में खो गई है,
न जाने कितनी ख्वाहिशें सो गई है,

हो गया अरसा पुराना, एक सफर का,
फिर भी न टूट पाया, बांध अपना सबर का,

मौसमी ना समझो, फूल पलाश का,
सदाबहारी बन गया, सपनों की आस का,

आस्था विश्वास का दामन है पकड़ा,
  आज भी उम्मीद की जोत ने जकड़ा,

एक मुकाम हासिल,अब करना है बाकी,
मुश्किल है लेकिन, नामुमकिन भी नहीं हालांकि,

फूल ख्वाहिशों का दिल में खिलाया है,
महकता है आज भी, मुरझा नहीं पाया है,

चंदन की खुशबू सा, महक जाना है,
सूरज की किरणों सा,चहक जाना है,

हौसला बुलंद अरमान भी है बाकी,
उम्मीद से ही तो रौशन जहान है साखी,
          संगीता वर्मा ✍️✍️........
   


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6 Comments

जी अति सुन्दर रचना।

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Punam verma

19-Feb-2022 08:11 AM

Very nice mam

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Ekta shrivastava

19-Feb-2022 07:46 AM

Waah bahut hee behtreen

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