Sonia Jadhav

Add To collaction

मेरी अना- भाग 13

भाग 13

अगले दिन….
अनिकेत का सारा दिन साक्षात्कार में ही गुजर गया था। पहले व्यक्तिगत साक्षात्कार हुआ, फिर समूह चर्चा, उसके बाद विभिन्न राजनीतिक विषयों पर लेख लिखने के लिए दिए गए, फिर अंत में "तेज़ खबर" न्यूज़ चैनल के वरिष्ठ एडिटर्स और रिपोर्टर्स के समक्ष अनिकेत का साक्षत्कार हुआ।
आखिर शाम चार बजे अनिकेत को खुशखबरी मिल ही गयी। "तेज खबर" न्यूज़ चैनल में उसका चयन पत्रकार के रूप में हो गया था। उसके हाथ में नियुक्ति पत्र था। सबसे पहली यह खुशखबरी अनिकेत ने अना को दी फोन पर और फिर देहरादून फोन किया अपने माता पिता को।

अनिकेत के माता पिता तो ख़ुशी से पागल हो गए थे यह खबर सुनकर। अनिकेत ने उनका सीना गर्व से चौड़ा कर दिया था। इतने बड़े न्यूज़ चैनल में उनके बेटे की नौकरी लगना, यह उनके लिए गर्व की बात थी। अब तो बस उनकी आँखें तरस रही थी अनिकेत को देखने के लिए।
भाग
कुछ ही समय बाद अनिकेत को एक खुशखबरी सुनने को मिली। अना फर्स्ट फ्लाइट एयरलाइन्स में एयरहोस्टेस के तौर पर चुन ली गयी थी। अना बेहद खुश थी और उससे ज़्यादा खुश उसके लिए उसका अनिकेत था। नियुक्ति पत्र हाथ में आते ही अना ने यह खुशखबरी सबसे पहले अनिकेत को सुनाई थी। 

अगर अनिकेत सामने होता तो वो ख़ुशी के मारे उसके सीने से लग जाती। इस खुशी के अवसर पर अना को अनिकेत की कमी बहुत खल रही थी लेकिन कुछ दीवारें थी जो अनिकेत ने बना रखी थी दोनों के बीच, जिन्हें अना चाहकर भी तोड़ना नहीं चाहती थी। वो अनिकेत के हर फैसले का सम्मान करती थी।

अना नहीं जानती थी कि वो कब और कैसे अनिकेत से प्यार करने लगी थी? वो बस इतना जानती थी कि जिस पल अनिकेत ने उसे "मेरी अना" कहा, वो उसी पल अनिकेत की हो गई थी हमेशा के लिए। उनका रिश्ता दोस्ती से आगे बढ़ चुका था।

अना को एयरहोस्टेस की नौकरी मिलने से जहाँ उसकी माँ बेहद खुश थी, वहीं पिता अपने आपको हारा हुआ महसूस कर रहे थे। उन्हें लग रहा था जैसे किसी जंग में अना उनसे जीत गयी हो। पहले ही अना को उनके फैसलों के विपरीत चलने की आदत थी। अना के आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने के बाद उन्हें अपने घर में अपनी अहमियत खत्म होती सी नज़र आ रही थी। 
अना के पिता अपनी बेटी के जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि पर बिना कोई प्रतिक्रिया दिए घर से बाहर निकल गए। अना की इस खुशी को मनाने के लिए सिर्फ दो लोग रह गए थे घर में अना और उसकी माँ।

अना अपनी नई नौकरी में इस कदर व्यस्त हो गयी थी कि अनिकेत से बात करने के लिए समय निकालना भी मुश्किल हो गया था। छह महीने तक उसकी ट्रेनिंग थी। जैसे ही उसे थोड़ा सा भी समय मिलता, वो अनिकेत को फोन कर लेती थी। कई बार ऐसा होता था जब उसे समय मिलता था बात करने के लिए तब अनिकेत व्यस्त होता था और जब अनिकेत फोन करता तब अना व्यस्त होती थी।

इधर अनिकेत की भी बी ए अंतिम वर्ष की परीक्षा खत्म हो चुकी थी। कॉलेज में कैंपस प्लेसमेंट का आयोजन हुआ था जिसमें विभिन्न टीवी न्यूज़ चैनल्स और प्रिंट मीडिया ने भाग लिया था। अनिकेत दिन-रात साक्षात्कार की तैयारी में लगा रहता था। उसके कई दोस्तों का चयन हो भी गया था लेकिन उसका चयन अभी तक कहीं नहीं हुआ था।

कभी-कभी अनिकेत का हौसला हारने लगता था लेकिन फिर वो अपने आपको समझाता था कि वो ऐसे हार नहीं सकता। अना की नई-नई नौकरी थी, वो उसे परेशान नहीं कर सकता था। लेकिन यह भी उतना ही सच था कि वो अपने मन की बात कहे बिना अना से रह भी नहीं सकता था। 
यूँ तो अनिकेत पूरे जोश के साथ बात कर रहा था अना से फोन पर , जैसे सब कुछ सामान्य हो लेकिन अना को अनिकेत की इस जोश भरी आवाज़ में ना जाने क्यों सच्चाई नज़र नहीं आ रही थी। उसने अनिकेत से पूछा…..अगला साक्षत्कार कब है और किस मीडिया हाउस के साथ है?

कल है "तेज़ खबर" न्यूज़ चैनल के साथ।

तुम्हें पता है कल मुझे एक खुशखबरी मिलने वाली है अनिकेत?

अनिकेत ने बुझे मन से कहा…. कौनसी खुशखबरी?

मेरे अनिकेत के "तेज खबर" में चयन की।

अनिकेत हँसने लगा….. नींद में सपने देखते हैं, और तुम जागती आँखों से देख रही हो?

हाँ जागती आँखों से सपना देख रही हूँ क्योंकि मुझे पूर्ण विश्वास है….अना ने जितने भी ख़्वाब देखे हैं अनिकेत के लिए वो उन्हें जरूर पूरा करेगा। अनिकेत की आंतरिक शक्ति को जितना मैं समझती हूँ, उतना कोई नहीं समझ सकता। 
एक-दो जगह चयन नहीं होने का यह अर्थ नहीं कि तुम में कोई कमी है। इसका अर्थ यह है कि भगवान ने तुम्हारे लिए कुछ इससे बेहतर चुन रखा है।

जो सर्वश्रेष्ठ होगा उसे सब सर्वश्रेष्ठ ही मिलेगा, जैसे कि मैं…..अनिकेत जोर से हँसने लगा अना की इस बात पर और साथ ही अना भी हँसने लगी।

मेरी अना के पास ही तो वो जादू है जिससे वो मेरी अनकही बातों को भी समझ लेती है। सच कहा तुमने  सर्वश्रेष्ठ अनिकेत की सर्वश्रेष्ठ अना….हा-हा-हा

अना से बात करके अनिकेत हल्का महसूस कर रहा था। उसका सारा तनाव मानो छू-मंतर हो गया था। उसे विश्वास था अना की कही हर बात पर। अना उसकी साँसों के लिए ऑक्सीजन से कम नहीं थी। हर एक गुजरता लम्हा अना को अनिकेत के और करीब कर रहा था।

अगले दिन….
अनिकेत का सारा दिन साक्षात्कार में ही गुजर गया था। पहले व्यक्तिगत साक्षात्कार हुआ, फिर समूह चर्चा, उसके बाद विभिन्न राजनीतिक विषयों पर लेख लिखने के लिए दिए गए, फिर अंत में "तेज़ खबर" न्यूज़ चैनल के वरिष्ठ एडिटर्स और रिपोर्टर्स के समक्ष अनिकेत का साक्षत्कार हुआ।
आखिर शाम चार बजे अनिकेत को खुशखबरी मिल ही गयी। "तेज खबर" न्यूज़ चैनल में उसका चयन पत्रकार के रूप में हो गया था। उसके हाथ में नियुक्ति पत्र था। सबसे पहली यह खुशखबरी अनिकेत ने अना को दी फोन पर और फिर देहरादून फोन किया अपने माता पिता को।

अनिकेत के माता पिता तो ख़ुशी से पागल हो गए थे यह खबर सुनकर। अनिकेत ने उनका सीना गर्व से चौड़ा कर दिया था। इतने बड़े न्यूज़ चैनल में उनके बेटे की नौकरी लगना, यह उनके लिए गर्व की बात थी। अब तो बस उनकी आँखें तरस रही थी अनिकेत को देखने के लिए।

अनिकेत कुछ दिनों के लिए देहरादून चला गया था। घर पहुँचते ही उसने अपने माता पिता के पाँव छूकर उनका आशीर्वाद लिया। घर आकर वो बेहद सुकून महसूस कर रहा था। अपने कमरे में जाते ही उसे मेज पर रखी अना की उपहार में दी हुई डायरी दिखी, ऐसा लग रहा था जैसे पूछ रही हो यह इंतज़ार कब खत्म होगा अनिकेत?

अनिकेत ने डायरी को चूमा और अना को फोन लगा दिया।

देहरादून आया हुआ हूँ कुछ दिनों के लिए। दिल्ली में तुम्हारी कमी इतनी महसूस नहीं होती थी जितनी यहाँ देहरादून में महसूस हो रही है।

अना ने चिढ़कर कहा…..अगर इतनी ही मेरी कमी महसूस हो रही है तो मिलने क्यों नहीं आ जाते? तुम्हें अपने सपनों को पूरा करने से मतलब है, मेरी कोई फ़िक्र नहीं है अनिकेत।

अना, मेरे हर ख़्वाब की मंजिल तुम ही तो हो। जिन ख़्वाबों में तुम शामिल ना हो, उन ख़्वाबों के कोई मायने नहीं है मेरे लिए। जल्द ही आऊंगा तुमसे मिलने। 

"दूरियाँ खलने लगीं है मुझे,
नजदीकियों की चाहत पनपने
लगी है मन में।
तुम्हारे सीने की धड़कन
महसूस करना चाहता हूँ।
सारी दुनिया के सामने खुलकर 
तुम्हें कहना चाहता हूँ  "मेरी अना"

अनिकेत की इन पंक्तियों ने अना को भावुक कर दिया था। उसे समझ नहीं आ रहा था वो क्या कहे। वो इतना ही कह पायी…… काश! मैं भी तुम्हारी तरह भावनाओं को शब्दों में पिरोना जानती होती तो किसी कविता के माध्यम से अपने दिल की बात कह पाती।

अना ने अंत में बस इतना ही कहा….अनिकेत यह इंतज़ार अब खत्म कर दो। 

सोनिया जाधव


   16
5 Comments

Sandhya Prakash

22-Mar-2022 01:15 PM

Khoobsurat kahani lekhan

Reply

Pamela

01-Mar-2022 07:26 PM

Behtarin

Reply

Marium

01-Mar-2022 04:57 PM

Nice part

Reply