Kavita Gautam

Add To collaction

जमीन

"जमीन"

धूल में लेते हैं जन्म
धूल में हीं मिट जाते हैं।

धूल के ही तो फूल हैं वे
पहचांन कहां कोई पाते हैं।

खुले आसमां के नीचे
जमीन पर ही सो जाते हैं।

सिर पर छत का सपना लिए
दुनियां से विदा हो जाते हैं।

धूल के ही तो फूल हैं वे
पहचांन कहां कोई पाते हैं।

धूल में लेते हैं जन्म
धूल में हीं मिट जाते हैं।।

कविता गौतम...✍️

दैनिक प्रतियोगिता हेतु।
23-2-22

   23
11 Comments

Ali Ahmad

05-Mar-2022 07:42 PM

Nice

Reply

Arshi khan

03-Mar-2022 06:02 PM

Bahut khoob

Reply

Shrishti pandey

24-Feb-2022 08:53 PM

Very nice

Reply