Anu koundal

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बारिश

बारिश की बूंदों से सनी हवा,

लपटें लेती कभी इधर,
तो कभी उधर।

प्रकृति आंख मिचोली खेल रही,
कभी बिजली संग चमक कर,
कभी हवा संग रुख बदलकर।

बारिश की बूंदों से ,
महक उठी धरती।
चमक गया आसमां।
कभी धुंधली थी जमीन,
और धुंधला था आसमान।


खिल गये सब फूल मुर्झाए,
मिल गये सब बन्धु प्यारे।
चहक उठे तब पक्षी सारे ,,,,,
बारिश की कुछ बूंदों से,,,,,,,,,,,,।

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6 Comments

Inayat

05-Mar-2022 01:34 AM

👌👌👌

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Arshi khan

03-Mar-2022 06:34 PM

Nice

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Abhinav ji

26-Feb-2022 08:58 AM

Nice

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