अनाज
अनाज
संयम है जिनका आधार,
मेहनत से है जिनको प्यार।
खेती से है जिनका जीवन,
अनाज बेच घर है चलाते
उनका कुदाल धरती पर पड,
धरा में बीज बो जाता।
अन्न तो वह उपजाते,
जैसा भी जो भी मिले।
धरा पर बैठकर खाते,
खुद कितना परिश्रम है करते।
गर्मी -सर्दी दिन -रात ना देखते ,
खेतों से सोना उपजाते।
पूरी दुनिया का पेट है भरते
पसीना अपना खूब बहाते।
मेहनत उनकी रंग है लाती,
घर में तब खुशहाली आती।।
कभी अगर बारिश ना हो
देख देख वह घबराते
पडे अकाल ना कभी धरा पर
बस वह यही दुआ मनाते।।
पेट सबका भरे यहां पर
बस इतना ही वह जाते
किसान भगवान तुल्य है होता
बस हम तो यही मानते ।
रचनाकार ✍️
मधु अरोरा
24.2.202
प्रतियोगिता के लिए
Seema Priyadarshini sahay
10-Mar-2022 06:34 PM
बहुत खूबसूरत
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