Sonia Jadhav

Add To collaction

मेरी अना- भाग 15

भाग 15

अना अपने पिता के घर आने से पहले ही घर पहुँच चुकी थी। आज अना गुनगुना रही थी, चहक रही थी। दिल और दिमाग पर अनिकेत छाया हुआ था। जज़्बात इस कदर हावी थे दिल पर कि भूख-प्यास सब मिट चुकी थी। अभी तो मिलकर आयी थी अनिकेत से और फिर से उसके फोन का इंतज़ार कर रही थी। ना आँखों में नींद थी, ना भूख का एहसास बस अनिकेत के संग बिताए हुए पलों को वो बार-बार याद कर रही थी। अनिकेत की बातें, उसकी कविताएं, उसका स्पर्श उसके करीब ना होने पर भी महसूस हो रहा था।

नींद से आँखें भारी हो ही रही थी कि तभी अनिकेत का फोन आ गया।
सॉरी फोन करने में देर हो गयी। तुम सो तो नहीं गयी थी ना अना?

सोने की कोशिश तो कर रही हूँ बहुत, लेकिन कोई है जो मुझे सोने नहीं दे रहा है।
अनिकेत हँसने लगा यह सुनकर…..अच्छा है रातों को जागने की आदत डाल लो अभी से, शादी के बाद तकलीफ नहीं होगी।
अना मासूमियत से पूछती है…..शादी के बाद तो उल्टा अच्छी नींद आएगी ना, तुम जो साथ होगे मेरे।

ओह मेरी अना…. तुम्हें कॉल रिकॉर्ड करने की आदत है ना, मेरे फोन रखने के बाद दुबारा सुनना जो मैंने कहा और फिर जवाब देना।
अच्छा यह सब छोड़ो, पहले सुनो कल जीन्स पहनकर मत आना, अच्छा सा सूट पहनकर आना। याद है देहरादून में जब तुम मुझसे मिलने आती थी तो अक्सर सूट पहनकर आती थी।

हा-हा-हा….हाँ याद है अनिकेत ....सूट पहनकर और तेल में चिपुड़ी हुई चोटी बनाकर आती थी तुमसे मिलने।

तुम्हें पाश्चात्य परिधानों की तुलना में भारतीय परिधान ज़्यादा अच्छे लगते हैं क्या मुझ पर अनिकेत?

वो तो कल बताऊंगा तुम्हें देखने के बाद। वैसे तो हर रंग तुम पर फबता है, लेकिन अगर कुछ हल्के नीले रंग का कुर्ता हो तो वो पहनकर आना।

फरमाइशें बढ़ती जा रही हैं तुम्हारी अनिकेत?

क्या करूँ पाँच साल बाद अपनी अना को देख रहा हूँ, इतना हक़ तो बनता है मेरा। क्यों गलत कहा क्या अना?

अना का अनिकेत कभी कुछ गलत कह सकता है क्या?
काफी देर तक बातें करने के बाद दोनों सो गए। पांच साल बाद मिले थे दोनों, कितना कुछ था कहने-सुनने को लेकिन समय कम था।

अगले दिन….
अना ने अनिकेत को पवई हीरानंदानी बुलाया था मिलने के लिए। अना अक्सर घूमने के लिए पवई जाया करती थी। यहाँ बहुत अच्छे रेस्तरां बने हुए थे खाने के लिए और स्ट्रीट फूड भी गजब का मिलता था। आधा घण्टा हो गया था अनिकेत का इंतज़ार करते हुए लेकिन साहब हैं कि आने का नाम नहीं ले रहे थे।

समय गुजारने के लिए अना पास ही बने मॉल में चली गयी। तभी उसे ख्याल आया क्यों ना अनिकेत के लिए एक शर्ट ही खरीद ली जाये। काफी ढूंढने के बाद उसे हल्के नीले रंग की शर्ट मिल ही गयी लिनेन में जो उसने झट से खरीद ली। तभी अनिकेत का फोन आ गया कि वो मॉल के बाहर इंतज़ार कर रहा है।

आज फिर अनिकेत अना को निहारता ही रह गया था। हल्के नीले रंग का लखनवी कुर्ता, उस पर सफ़ेद चूड़ीदार के साथ अना ऐसी लग रही थी मानो जैसे सफ़ेद रेत को चूमता हुआ नीला समुन्दर।
अना को देखते ही उसने धीरे से अना के कानों में कहा…..बहुत प्यारी लग रही है मेरी अना।

अना के गाल कुछ धूप से लाल हो गए थे और कुछ अनिकेत के प्यार से।

अना अनिकेत को होटल महाराजा भोग में खाने के लिए ले जाने लगी तो अनिकेत ने मना कर दिया ये कहकर कि उसे मुम्बई का स्ट्रीट फूड खाना है। मॉल के पास ही बनी पटरी मार्किट में उन्होंने मिसल पाव और दाभेली खाई।

अनिकेत की आँखों से पानी आता देख अना हँसने लगी…..हा-हा-हा और खाओगे मुम्बई का स्ट्रीट फूड।

तुमने बताया क्यों नहीं अना कि यहाँ का खाना इतना तीखा होता है?

अनिकेत को पानी पर पानी पीता देख अना झट से अनिकेत के लिए सामने वाली दुकान से कुल्फी ले आयी।

सॉरी अनिकेत मुझे बताना याद नहीं रहा कि महाराष्ट्रियन खाना तीखा होता है। लो ये कुल्फी खा लो थोड़ी राहत मिलेगी।
अनिकेत ने कुल्फी खायी तो उसे थोड़ा बेहतर महसूस हुआ।

अनिकेत अना के साथ कुछ वक़्त अकेले गुजारना चाहता था भीड़ में नहीं। इतने लोगों के बीच वो अना को सिर्फ देख भर पा रहा था, उसे महसूस नहीं कर पा रहा था। उसने अना से कहा चलो मरीन ड्राइव चलते हैं। कल समुन्दर के किनारे बैठना मुझे बहुत अच्छा लगा था। लोगों का हुजूम होने के बावजूद वहाँ एक अलग तरह का सुकून था।
ये तो सही कहा तुमने अनिकेत, चलो चलते हैं।

कुछ देर बाद…..

सूरज ढलने में अभी समय था, ज़्यादा लोग नहीं थे। साथ वक़्त गुजारने के लिए अच्छा समय था।
दोनों चुपचाप काफी देर तक समुन्दर देखते रहे। समुन्दर की यह खासियत है वो आपको कभी तन्हा महसूस नहीं होने देता, वो खुद में आपको उलझाए रखता है।

अना और अनिकेत के बीच में अना का बैग था। आज वो उसके करीब नहीं बैठी थी। अना चाहती थी कि अनिकेत पहल करे और अनिकेत चाहता था कि अना पहल करे। इस पहले आप के चक्कर में समय बीता जा रहा था। आखिरकार अनिकेत ने अना का बैग उठाकर साइड में रखा, अपना हाथ उसके कंधे पर रखा और करीब जाकर बैठ गया।
अना ने अपनी हंसी रोकते हुए कहा…..यह क्या है?

अनिकेत का प्यार है, और क्या..

कल तो खुद से मेरे कंधे पर अपना सिर रखकर बैठ गयी थी और आज दूरी बनाकर बैठी हुई हो वो भी चुपचाप।

हाँ तो मैं इंतज़ार कर रही थी ना कि कब तुम करीब आने की कोशिश करोगे। हर बार मैं पहल नहीं करुँगी।

अनिकेत हँसने लगा और अना भी। दोनों ही एक दूसरे के करीब बैठना चाहते थे लेकिन पहल कौन करे इसका इंतज़ार कर रहे थे।

अना अपनी आँखें बंद करो, तुम्हारे लिए एक सरप्राइज है।
आँखें तो मैं बंद कर लूँगी लेकिन तुम कुछ शरारत मत करना।

हा-हा शरारत करूँगा तो तुम्हारी बड़ी-बड़ी आँखों में देखकर करूँगा, समझी मेरी अना।
चलो फटाफट आँखें बंद करो अब।

अना को लगा अनिकेत ने उसके गले में कुछ पहनाया है चेन जैसा। आँख खोलकर देखा तो सोने की चेन थी जिसमें अंग्रेजी में "डबल ए"  एक दूसरे से इस तरह जुड़ा हुआ लिखा था जैसे दोनों अक्षर एक ही हों। सही तो था अनिकेत में ही तो बसी हुई थी उसकी अना।

अना की आँखें नम हो गईं थी अनिकेत के दिल में अपने लिए इतना प्यार देखकर। कुछ सेकण्ड्स तक वो कुछ कह ही नहीं पायी इतनी भावुक हो गयी थी। शब्द मानो जैसे गले में ही अटक गए हो।

अनिकेत ने उसके माथे को चूमा और कहा…. जानता हूँ बहुत भावुक महसूस कर रही हो तुम इस समय। मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ अना।

तुम हिम्मत हो मेरी, मेरा आत्मविश्वास हो
अगर तुम मुझे सही वक़्त पर नहीं संभालती तो मैं कब का बिखर जाता अना।

"तुम हो तो लगता है जिन्दा हूँ मैं
वरना सुनसान खण्डहर सी है जिंदगी"

अना अभी भी अनिकेत के सीने से लगकर बैठी थी। अनिकेत ने उसे निशब्द कर दिया था। वो एक पल के लिए भी उससे अलग नहीं होना चाहती थी। कितनी देर तक वो यूँ ही उसके सीने से लगकर बैठी रही। सूरज ढलने लगा था, लोगो की आवाजाही बढ़ने लगी थी। तभी अनिकेत ने कहा….अना कल सुबह मेरी फ्लाइट है सुबह 6 बजे की।

अनिकेत के जाने की बात सुनकर उसे ऐसा लगा जैसे उसे किसी ने सपने से जगा दिया हो। वो एकदम से अनिकेत से अलग होकर बैठ गयी। उसकी आँखों में आंसुओं की कुछ बूंदे अभी भी अपनी जगह बनाए बैठी थीं।

अना ने अपने आँसु पोंछते हुए कहा…..जब तुम मुझे गले में चेन पहनायी तो ऐसा लगा जैसे तुमने मंगलसूत्र पहनाया हो। मुझे बहुत अलग महसूस हो रहा है अनिकेत। ऐसा लग रहा है जैसे तुम मेरे…
जो तुम्हें महसूस हो रहा है वही मैं भी महसूस कर रहा हूँ अना।

अनिकेत कुछ सोचकर कहता है....
आज तुम्हारे पापा से बात करने मैं तुम्हारे घर चल रहा हूँ तुम्हारे साथ।

अनिकेत पहले मैं बात कर लेती पापा से, एकदम से तुम्हें यूँ अचानक सामने देखकर कहीं वो भड़क ना जाएं।

जितना भड़कना था वो पहले भड़क चुके हैं। हम दोनों बालिग हैं और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हैं। अब वो हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते।

सोच लो अनिकेत..

सोच लिया अना, आज ससुरजी से मिलना तो तय है। अब मैं और इंतज़ार नहीं करना चाहता। वैसे भी शादी होने में छह से आठ महीने लग जायेंगे। अभी मेरे मम्मी पापा भी तो हैं और फिर रहने के लिए घर वगैरह सब चीजों का इंतज़ाम करना पड़ेगा ना। एक बार परिवार वालों की तरफ से हाँ हो जायेगी तो सिर से बोझ कम हो जायेगा।

तुम्हारे घरवाले नहीं माने तो?

कोई बात नहीं फिर कोर्ट मैरिज कर लेंगे। मैं सब संभाल लूँगा। तुम हमारी शादी को लेकर निश्चिन्त रहो।

अना बस चुपचाप अनिकेत को निहार रही थी। आज उसे यकीन हो चला था कि जिंदगी किसी भी पल बदल सकती है, आपके ईश्वर को आपकी आपसे ज़्यादा फ़िक्र है। कुछ योजनाएं आप बनाते हैं और कुछ भगवान।

❤सोनिया जाधव

   19
2 Comments

Amir

26-Feb-2022 05:22 PM

nice story

Reply

Zakirhusain Abbas Chougule

25-Feb-2022 11:25 PM

Beshaq ! Bahut khoob

Reply