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पिता एक उम्मीद

 पिता एक उम्मीद

माँ यदि प्यार करती है, तो पिता एक उम्मीद हैं।
घने दरख़्त की भांति ,बच्चों के लिए रहीम हैं।

हिमालय से अडिग,सागर सी अनंत गहराई.
सृष्टिं की सभो खूबियाँ पिता शब्द में समाई।

कहलाते घर के स्वामी पर वो घर के है रक्षक।
उनके रहते  इधर देख सकता कोई क्रूर भक्षक।

वेदनाओं को छिपाकर सदा जो मुस्कराते रहते।
बच्चों की खुशियों के लिए जो संघर्ष करते रहे

बच्चों की उपलब्धियों का वे सीधे बखान करते नहीं।
 बच्चों के भविष्य के लिए  निज सुख को देखते नहीं।

बच्चों के लिए पिता उम्मीद का  एक चिराग होते हैं।
जिनके पास हों पिता वे सच ,बहुत भाग्यवान होते हैं।

जिस दिन पिता के महिमा की गाथा  विस्तार से लिखी जाएगी।
शब्द कोष में शब्द कम पड़ जाएंगे,लेखनी लिखते-लिखते थक जाएगी। 

स्नेहलता पाण्डेय 'स्नेह'
नई दिल्ली

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7 Comments

Mukesh Duhan

20-Jun-2021 11:31 PM

बहुत सुंदर जी

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Aliya khan

20-Jun-2021 11:13 PM

ह्रदय स्पर्श रचना

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Shaba

20-Jun-2021 11:08 PM

भावपूर्ण रचना🙏

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