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उन्मत्त सिपाही -लेखनी प्रतियोगिता -25-Feb-2022

मैं भारत माँ का अति उन्मत्त सिपाही कहलाता हूँ,
सर्वस्व अपना जन्मभूमि पर समर्पित कर जाता हूँ।

अरि नागों की जहरीली फुफकारों से न घबराता हूँ
बनकर शेषनाग देशद्रोही को प्रभु द्वार दिखाता हूँ।

तान्हा बन तेज़ तलवारों से बिजली चमकाता हूँ
कभी भगतसिंह बनकर फंदे को गले लगाता हूँ।

गाड़ी, बँगले,धन, शानो-शौकत से मैं कतराता हूँ
बंदूकें लेकर पहाड़ों, बियाबानों में घर बनाता हूँ।

जीते जी देश पर तन-मन-धन न्योछावर करता हूँ 
मर कर अपनी रूह भी देश के नाम कर जाता हूँ।

मैं हूँ एक सिपाही, जो पत्थर दिल कहलाता हूँ
सत्य है देश सेवा हेतु दिल को पत्थर बनाता हूँ।

घर-परिवार, रिश्ते-नाते सबसे मैं दूरी बनाता हूँ
किंतु भारत माँ को सर्वोपरि स्थान पर पाता हूँ।

सरहद पर मैं सजग प्रहरी की भूमिका निभाता हूँ
दिन-रात सोचता नहीं, दुश्मन के छक्के छुड़ाता हूँ।

तूफानों के आगे निडर डटकर खड़ा हो जाता हूँ
पर्वत-सा अडिग रह, रक्त का हर कतरा बहाता हूँ।

देशवासियों का विश्वसनीय संरक्षक कहलाता हूँ
कठिन दिनचर्या में भी अपना कर्तव्य निभाता हूँ।

आज़ादी हेतु तुम मुझे खून दो का नारा लगाता हूँ 
आतंकियों के पुलवामा का शिकार भी बन जाता हूँ।

सर्जिकल स्ट्राइक की ज़िम्मेदारी भी मैं उठाता हूँ
आतंकवादियों को हर हाल में नाकों चने चबवाता हूँ।

दुश्मन की गोली खाकर भी अपना सर न झुकाता हूँ
मर कर भी प्यारे तिरंगे का सम्मान सदा  बचाता हूँ।

शहादत पाकर भी परिवार का मान बढ़ा जाता हूँ
तिरंगे में लिपटकर ससम्मान विदाई मैं पाता हूँ।

मैं भारत माँ का अति उन्मत्त सिपाही कहलाता हूँ,
सर्वस्व अपना जन्मभूमि पर समर्पित कर जाता हूँ।

डॉ. अर्पिता अग्रवाल

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8 Comments

बहुत ही खूबसूरत और बेहतरीन शब्द संयोजन

Reply

Punam verma

27-Feb-2022 11:26 AM

Nice

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Abhinav ji

26-Feb-2022 09:19 AM

Nice

Reply

Dr. Arpita Agrawal

26-Feb-2022 10:37 AM

Thanks a lot Abhinav ji

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