Harsh jain

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ज़िन्दगी

टुकड़ों मे बट गयी है जिंदगी! 

सबसे ही कट गई है जिंदगी!


मुझको सिसकता छोड़ कर! 

खुद पीछे हट गई है जिंदगी!!


           हर्ष जैन सहर्ष

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