लेखनी प्रतियोगिता -28-Feb-2022 मैं शिव
*मैं शिव हूंँ*
मैं शिव हूंँ
पंचतत्व मुझ में ही समाए,
अग्नि, आकाश, पानी, हवा, मिट्टी,
सब मैंने ही तो बनाए |
मेरा मन तड़पता बहुत ,
खुद से ही में झगड़ता बहुत |
आकार मेरा कोई नहीं ,
स्वरूप मेरा कोई नहीं |
आस्था और विश्वास का नाम शिव,
वैभव, धन-धान्य से दूर मैं शिव |
शेर की छाल पहनता हूंँ,
बेलपत्र - धतूरे से खुश हो जाता हूंँ |
कोई कहे भोले भंडारी ,
अर्धनारीश्वर का कोई नाम दें |
त्रिपुरारी, डमरू वाला,
उमापति नाम मेरे , विभोर भी मैं हूंँ,
जन जीवन से दूर मैं हूंँ |
मृत्यु का गुरूर हूंँ मैं ,
श्मशान में मेरा नाम ,
त्रिनेत्र वाला हूं मैं ,
तांडव भी करता हूंँ मैं |
चिरमग्न रहता हूंँ मैं ,
एकांत में भी खुश रहता हूंँ मैं |
छल, मोह का नाम नहीं मुझमें ,
गंगा का वास भी मुझमें |
मैं काल हूंँ, त्रिकाल हूंँ,
अंधकार नहीं मैं प्रकाश हूंँ |
कैलाश मेरा वास हैं,
हर दिल में मेरा निवास हैं ||
प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)
Seema Priyadarshini sahay
02-Mar-2022 04:42 PM
बहुत ही खूबसूरत
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Shrishti pandey
01-Mar-2022 09:35 AM
Nice
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Punam verma
01-Mar-2022 08:58 AM
Very nice
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