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लेखनी प्रतियोगिता -28-Feb-2022 महाशिवरात्रि

शीर्षक = महाशिवरात्रि 




हिंदुस्तान मै रहने का अपना अलग ही मजा है । क्योंकि यहां पर अपने धर्म के साथ साथ दूसरे धर्मो के रीति रिवाजों का भी आनंद लेने को मिल जाता है । और साथ ही त्यौहार किसी और का होता है और छुट्टी सब को मिल जाती है स्कूल दफ्तरों से । सच मै मेरे देश जैसा कोई दूसरा देश नही ।


वैसे तो मुझे ज्यादा कुछ नही पता हिंदू धर्म के त्यौहार के बारे मे लेकिन जो भी पता चला है वो सिर्फ मुझे अपने दोस्तों और उनके घर वालो से वैसे तो दिवाली, दशहरा, होली इन सब के बारे मैं तो सब को पता होता है । वही दुसरा एक बडा त्यौहार होता है महा शिवरात्रि जिसका लोगो को काफी इतंजार रहता है । तो चलते है शूरू करते है एक छोटी सी कहानी । 




सुबह के पाच बजे । सारी थालिया तैयार हो गई अनामिका की मां सब मै बराबर की सामग्री रखना गाय का दूध, धतूरा, बेलपत्र , मोसमी फल , बेर और भी सब कुछ । आज मेले मै भीड़ रहेगी आज शिव का दिन है । तू भी जल्दी से काम खत्म करके अनामिका को साथ ले आना बच्चो को दुकान पर देखकर ग्राहक आसानी से आ जाते है।  दुकान पर तेरी जरूरत पढ़ेगी और वही पर पूजा भी कर लेंगे । सुंदर अपनी पत्नी रेडुका से कहता है।


जैसा आप कहे । लेकिन अनामिका का क्या करें उसे पूजा मै केसे ले जाए उसकी जिद्द है की जब तक उसके पास भी बडी थाली सारी सामग्री से पूर्ण भरी नही होगी वो मन्दिर नही जाएगी क्योंकि वो हर साल की तरह सिर्फ थोड़ा दूध और सामग्री नही लेकर जाना चाहती । अब उस आठ साल की बच्ची को केसे समझाए की बडी थाली की कीमत अदा कर पाना हमारे बस मैं नही । बडी थाली खरीदना मतलब २००० रुपए का नुकसान करना ।

वैसे भी इस कोरोना की वजह से हमें भी सारा समान महंगा मिला है । मुश्किल से एक थाली पर १०० या १५० रुपए बचना है । उसकी मां दुखी मन से अपने पति सुंदर से कहती है।

समझा उसे भगवान आस्था देखते हैं ना की बडी थाली । ये तो उन अमीरों के लिए हैं जिन्हे भगवान ने बेहिसाब दिया है तो वो भगवान पर भी बेहिसाब उड़ा ते है। सुंदर कहता है।

अच्छा मै जा रहा हू । तू भी नहा धोकर जल्दी आ जाना मै अलग से छोटी थाली बना लूंगा घर से मत लाना फिर साथ चलें गै अभिषेक करने । वरना फिर भीड़ बड़ने लगेगी मन्दिर मे । ये कह कर सुंदर अपना समान लेकर वहा से चला जाता है।

अनामिका उठो बेटा देखो आज क्या है आज हमें मेले जाना है । और तुम्हारे पिता का हाथ बटाना है । उनकी दुकान पर जाकर । 

सात बजे अनामिका और उसकी मां रेणुका सुन्दर की दुकान पर पोहोच जाते है । चलो पहले मन्दिर हो आते है फिर दुकान पर भी ग्राहक आना शूरू हो जाएंगे। सुंदर कहता है।

चलो अनामिका तुम भी चलो । नही मैं ये इतनी छोटी सी थाली लेकर नही जाऊंगी मुझे बडी थाली लेकर जाना है मेने वादा किया था शिव जी से की इस बार बडी वाली पूरी सामग्री वाली थाली ही लेकर जाऊंगी । जब शिव जी ने मुझे सब कुछ दिया है मां पिता घर दोस्त तो मैं उनके पास क्यू इतनी सी थाली  लेकर जाऊ । 

अनामिका बेटा भगवान आस्था देखता है ना की ये की तुम उसको कितना दूध और सामग्री चढ़ा रही हो । बेटा वो अमीर लोगो के लिए होती है हम जैसे मेहनत मजदूरी करने वाले अपनी हैसियत के हिसाब से ही सामग्री ला सकते है। उसकी मां उसे समझाती पर वो नही मानती 

चलो अच्छा हम लोग हो आते है दोपहर तक एक आदी थाली बच गई तो इसको दे दूंगा  । सुंदर कहता 

अनामिका बेचारी अपने पिता की दुकान पर खड़ी एक एक करके सारी थालिया कम होते सोच रही होती है कि पता नही की उसके लिए बचे गी भी या नहीं।

अमीर अमीर लोग आते थाली बनवाते पैसे देते और ले जाते अनामिका उन्हे उस भरी थाली के साथ मन्दिर जाता देख खुश होती ओर सोचती वो भी ऐसे ही थाली लेकर जाएगी।


दोपहर हो चली होती है । मेले में भीड़ चो गुनी हो चली होती है । सारी दुकानें भरी पढ़ी होती है । बोहोत से दुकान वाले तो अपना समान बैच कर घर की और निकल पढ़े होते है।

अनामिका इसी इतंजार मै होती है की कब पिता जी उसे बुलाए और वो थाली मन्दिर ले जाए ।

आखिर मै एक थाली बची होती है । सुंदर और अनामिका उसे उठाने वाले ही होते है की अचानक एक लड़की आकर उनसे वो थाली मांगती वो भी दो गुने पैसे देकर क्योंकि सब जगह सामग्री खत्म हो चली होती है । सिर्फ वही एक थाल बची थी सुंदर की दुकान पर।

ज्यादा पैसे देखकर सुंदर ने रेणुका से पूछा क्या कहती हो भाग्यवान बेच दू या अनामिका के लिए रख दू ऐसा मौका रोज नही आता ।

बैच दीजिए बच्ची है मै मना लूंगी । पेसो की जरूरत है हमे तो वैसे भी हम दोनो तो हो ही आए थे मन्दिर । अनामिका से कहूंगी अगले साल मै खुद उसे अपने पेसो से थाली ख़रीद कर दूंगी । और वैसे भी गरीब की बच्ची हैं मान जायेगी थोड़ा रो लेगी फिर मान जायेगी ।


क्या हुआ क्या ये थाली पहले से कोई ख़रीद चुका है। वो लड़की पूछती है । अरे नही बहन जी वो तो बस ऐसे ही हमारी बेटी ने जिद्द कर रखी है की वो भी शिव को बडी वाली थाली ही चढ़ाए गी । नही तो नही चढ़ाएगी। अब हमारी इतनी औकात कहा की हम उसे ये थाली दे सकें । आप ले लीजिए मैडम जी वो मान जायेगी । सुंदर कहता है।

कहा है आपकी बेटी वो लड़की पूछती है ।

वो अपनी सहेलियों को बताने गई है की वो आज बडी वाली थाली जिसमे सारी सामग्री होती है ढेर सारी वो लेकर जाएगी मन्दिर ।

आप ये ले जाए इससे पहले वो आ जाए रेणुका कहती है ।

तभी अनामिका आ जाती है। अपनी सहेलियों के साथ पिता जी मेरी थाली आपने वादा किया था की जब एक बच जाएगी तो आप मुझे दे दोगे ।

 सुंदर कहता अनामिका बेटा वो क्या है ना की वो थाली ,,,,

तभी वो लड़की कहती हैं ये रही तुम्हारी थाली क्या तुम मुझे अपने सहेलियों के साथ मन्दिर लेकर जाओगी ये सुन अनामिका खुश हो जाती है।

वो लड़की सुंदर को पैसे देती लेकिन सुंदर मना करता है वो कहती है भगवान के लिए सच्ची श्रद्धा क्या होती है वो इस बच्ची से आज मैने सीखा जो सुबह से इतंजार मै थी की कब कोई थाली बचे गी ओर वो मन्दिर लेकर जाएगी वो भी इस लिए की उसको भगवान ने मां बाप और घर दिया है इस लिए वो भगवान को छोटी थाली चढ़ान
 से शर्मा रही होती है।

और एक हम लोग है जो सिर्फ आए थाली खरीदी मन्दिर मे दी और चले गाए बिना उसका शुक्र अदा किए बिना की उसने हमें क्या कुछ नही दिया गाड़ी बंगला नोकर अच्छी ज़िंदगी है।


और आंटी आप भी अगर मेरी जगह कोई और होता तो आप उसे ये थाली बेच देती बिना ये सोचे की आपकी बेटी को कितना बुरा लगेगा 

बेटा तुम्हारी बात सही है लेकिन इन चंद कागज़ के टुकड़ी की तुम्हारी जिन्दगी मे कोई अहमियत नही होगी लेकिन हमारे लिए बोहोत बडी रकम है ये इससे हमारे घर में हफ्ते भर का राशन आ सकता है । कभी कभार इन्सान इतना मजबूर होता है की ना चाह कर भी अपने बच्चो की खवहिशो को मार बैठता हैं । बेटा ग़रीब होना इतना आसान नही 

उसके बाद अनामिका और वो लङकी खुशी मन्दिर जा कर वो थाली दे आए । वो लङकी भी खुश होती हैं अनामिका को खुश देख कर 

आखिरकार अनामिका का शिव जी से किया वादा पूरा हो गया ।



अगर कोइ बात किसी को गलत लगी हो तो माफी चाहता हू क्योंकि मुझे ज्यादा पता नही है थोड़ा बोहोत गूगल से सर्च किया था और उसी को जोड़ मोड़ कर कहानी बना दी 


प्रतियोगिता हेतु लिखी कहानी 





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6 Comments

Shrishti pandey

01-Mar-2022 09:28 AM

Very nice

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Punam verma

01-Mar-2022 08:53 AM

Very nice

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Abhinav ji

01-Mar-2022 08:38 AM

Nice

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