रिश्ते
रिश्ते
बहुत संभाला मगर फिर दिल ना माना
हमको भी आता था रिश्ता निभाना
पर तुमने चाहा हर वक्त हम को झुकाना
सहज नहीं होता जरूरत से ज्यादा झुक पाना।
इतना तो तय है रिश्ता होता लचीला
सीमा से ज्यादा गर किसी को झुका दोगे
टूट जाएगा वो या फिर रिश्ता ही गवां दोगे
या फिर करेगा गुस्ताखियां वो, बोलो सह सकोगे।
रिश्ता तो चलता तभी जब दोनो बराबर निभाते
कभी सुनते दूसरे को कभी अपनी चलाते
थोड़ा झुकते खुद भी दूसरे को कुछ झुकाते
वक्त आए जो टेढ़ा, हाथ थाम चलते जाते
यूं दुश्वारियों में प्रेम के गुल खिलाते
खुद भी हंसते संग सबको हंसाते, ऐसे रिश्ते निभाते।।
आभार – नवीन पहल – २८.०२.२०२२ ❤️❤️❤️❤️
# दैनिक
Seema Priyadarshini sahay
01-Mar-2022 06:19 PM
बहुत खूब
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Shrishti pandey
01-Mar-2022 09:40 AM
Very nice
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Punam verma
01-Mar-2022 09:01 AM
Very nice sir
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