लेखनी वार्षिक लेखन प्रतियोगिता
दिनांक-22/2/22
विषय- अनाज
शीर्षक- "कृषक का जीवन"
"कृषक का जीवन"
कृषक का जीवन भी,
क्या जीवन है...?
स्वयं खेत जोतता, बीज बोता,
हर हाल में खुश रहता,
कृषक का जीवन भी,
क्या जीवन है...?
स्वयं पोखर जाकर, पानी लाता,
चार कोस पैदल जाकर,
कृषक का जीवन भी,
क्या जीवन है...?
स्वयं उगाये अनाज, रखवाली करता,
जागकर रात रात भर,
कृषक का जीवन भी,
क्या जीवन है...?
देख खड़ी फसल, मन मुस्काता,
हुई सफल मेहनत मेरी,
कृषक का जीवन भी,
क्या जीवन है...?
पक गयी फसल,भंडार भर जाता,
खुशियाँ छायीं परिवार में,
कृषक का जीवन भी,
क्या जीवन है...?
मंडी में जायके,अन्न को बिकवाता,
बिचोलियों में फँसा बेचारा,
कृषक का जीवन भी,
क्या जीवन है...?
दाम मिले औने पौने, क्या करता,
लौटके घर को आया,
कृषक का जीवन भी,
क्या जीवन है...?
हाय रे मेरी किस्मत,पेट भर पाता,
रो रहा है दिल मेरा,
कृषक का जीवन भी,
क्या जीवन है...?
यूँ ही कट जायेगा सफर, क्या पता,
जिंदगी का यही फ़लसफ़ा,
कृषक का जीवन भी,
क्या जीवन है...?
मैं हूँ अन्न दाता, कुछ समझ न पाता,
धनी धोरी कोई न मेरा,
कृषक का जीवन भी,
क्या जीवन है...?
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काव्य रचना -रजनी कटारे
जबलपुर (म. प्र.)
Swati chourasia
01-Mar-2022 04:11 PM
Very beautiful 👌
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