मेरी अना- भाग 17
भाग 17
शादी की सारी तैयारियां ज्यादातर अनिकेत के ज़िम्मे ही थीं। अना मुम्बई में रहती थी और वो दिल्ली में, ऐसे में अना का बार-बार दिल्ली आना संभव नहीं था। वीडियो कॉल के माध्यम से ही ज़्यादातर काम हो रहे थें। फिर भी अनिकेत चाहता था एक बार अना दिल्ली आ जाए ताकि तैयारियों के साथ-साथ कुछ वक़्त साथ गुज़ार सकें।
शनिवार का दिन था अनिकेत घर पर ही था। लैपटॉप पर काम कर रहा था कि तभी दरवाज़े पर घँटी बजती है तो देखता है सामने अना खड़ी है अपनी एयरहोस्टेस वाली यूनिफार्म में हाथ में ट्राली बैग लेकर। अनिकेत यूँ उसे अचानक देखकर हैरान हो जाता है और टकटकी लगाए उसे देखता ही रहता है कुछ सेकण्ड्स तक।
तभी अना कहती है….यूँ ही देखते रहोगे कि अंदर भी आने दोगे?
अनिकेत मुस्कुराते हुए उसका बैग ले लेता है उसके हाथ से और उसे अंदर ले आता है।
घर में घुसते ही अनिकेत अना को ज़ोर से गले से लगा लेता है और उससे पूछता है…..बताया क्यों नहीं आने वाली हो? घर में क्या बोलकर आयी हो?
बताया इसलिए नहीं कि तुम्हें सरप्राइज देना था और घर में यही पता है कि मैं ऑन ड्यूटी हूँ।
अनिकेत अना के कानों में धीरे से कहता है….तुम बहुत अच्छी लगती हो एयरहोस्टेस की यूनिफार्म में, एकदम सुपर मॉडल जैसी ।
हा-हा छोड़ो अब, मुझे फ्रेश होने दो।
कुछ ही देर में अना घर के सामान्य कपड़ों में आ जाती है और अनिकेत से शादी की तैयारियों को लेकर बातचीत करने लगती है। दोनों मिलकर यह निर्णय लेते हैं कि नया घर खरीदने की बजाय फिलहाल के लिए जिस घर में अनिकेत रह रहा है वही ठीक है।
समय बर्बाद ना करते हुए अना लिस्ट तैयार कर लेती है शादी के बाद लगने वाले सामान की और दोनों शाम को शॉपिंग पर जाने की योजना बनाते हैं। अना के पास ज़्यादा समय नहीं था, इसलिए जितना काम वो इन दो दिनों में निपटा सकती थी, निपटा रही थी।
अनिकेत से बात करते-करते अना उसके कंधे पर सिर रखकर ही सो गई थी। अनिकेत उसे आराम से सोफे पर लेटाकर अंदर अपने कमरे में सोने चला गया था। अना का यूँ इस तरह से उसके घर मिलने आना, यहीं रहना उसे बहुत अच्छा लग रहा था लेकिन मन में उठते जज़्बातों से थोड़ा सा डर भी लग रहा था। दिन तो गुज़र जायेगा लेकिन रात का ख्याल उसके मन को परेशान कर रहा था।
अना शाम 5 बजे उठकर तैयार भी हो गयी थी और अनिकेत अभी भी सो रहा था। उसने फटाफट से कॉफी बनायी और अनिकेत को उठाने लगी। अनिकेत कॉफी का पहला घूँट लेते ही बोल पड़ा….वाह कॉफी तो बहुत बढ़िया बनाई है तुमने, मुझे लगा…???
क्या लगा, मुझे रसोई बनाने नहीं आती। मुझे खाना बनाना आता है अनिकेत। मेरे पापा ने उस दिन सब झूठ कहा था तुमसे मेरे बारे में और तुमने यकीन भी कर लिया?
मुझे खाना बनाना आता है अनिकेत, वो अलग बात है कि समय ना मिलने के कारण मैं रसोई में जाती नहीं हूँ।
अनिकेत ने अना को गले लगाते हुए सॉरी कहा और फिर वो दोनों शॉपिंग के लिए चले गए।
शॉपिंग करने के बाद दोनों ने खाना बाहर ही खा लिया था। अनिकेत को अना की एक बात बहुत अच्छी लगी थी…..अना सामान खरीदते वक्त दस दुकानों के चक्कर नहीं लगाती थी, पहली नज़र में जो पसन्द आया उसे वो झट से खरीद लेती थी।
रात को जब दोनों घर लौटकर आए तो अनिकेत ने कहा कि वो बाहर सोफे पर सो जायेगा और उसे बैडरूम में सोने के लिए कहा।
अना ने बैडरूम में सोने के लिए यह कहकर मना कर दिया कि वो शादी के बाद ही सोयगी उस बेड पर अनिकेत के साथ, यूँ अकेली नहीं। अनिकेत उसकी बात सुनकर मुस्कराया और अंदर सोने के लिए जाने लगा। तभी अना ने कहा….ये समय बड़ी मुश्किल से मिला है अनिकेत, चलो कुछ देर बैठकर दोस्तों की तरह बातें करते हैं। दो महीने बाद हमारी शादी है और शादी के बाद सब कुछ बदल जायेगा हमारे बीच।
अनिकेत नीचे बैठ जाता है अना की गोद में सिर रखकर और पूछता है तुम्हें अजीब नहीं लग रहा है इस तरह अकेले मेरे साथ रहने से, दो महीने बाद हमारी शादी होने वाली है, कहीँ कुछ……
अना को अनिकेत की बात सुनकर हँसी आ जाती है…….तुम्हारे साथ कैसा डर अनिकेत और वैसे भी हम पहले दोस्त हैं और मुझे तुम पर भरोसा है। हर लम्हे की अपनी खूबसूरती होती है और एक तय वक़्त होता है उसे पूरा होने का। उस लम्हे को आने में अभी पूरे दो महीने हैं अनिकेत।
एक तुम ही हो अना जिसे मेरे जज़्बातों को संभालना आता है। लड़का हूँ आखिर, मन में ख्याल आ ही जाते हैं। सच कह रही हो तुम जो समय हम आज बिता रहे हैं एक दूसरे के साथ ये समय फिर लौटकर नहीं आयेगा। पति-पत्नी के रिश्ते के बीच दोस्ती होना कितना जरुरी है ना अना। कितनी सहजता से हम दोनों एक दूसरे से बात कर लेते हैं, तुम मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो अना।
अना अनिकेत की बातें सुनकर मुस्कुराने लगती है।
काफी देर तक दोनों शादी की तैयारियों को लेकर बात करते रहते हैं। बात करते-करते अना सोने लगती है तो अनिकेत अंदर कमरे में जाने लगता है सोने के लिए। तभी अना अनिकेत का हाथ पकड़ लेती है और कहती है…..यहीं सो जाओ अनिकेत, मेरे पास।
अना सोफे पर सो जाती है और अनिकेत फर्श पर चादर बिछाकर उसके पास सो जाता है।
अगला दिन भी बाज़ार के चक्कर काटने में निकल जाता है दोनों का। अना की कोशिश होती है जाने से पहले जितना सम्भव हो,जरुरी काम निपटा दिए जाए। उस दिन अना रात को जल्दी सो गयी थी क्योंकि सुबह चार बजे उसे फ्लाइट के लिए निकलना था। जाते वक़्त अनिकेत के माथे पर अपना प्यार अंकित कर अना चली गयी।
अना के जाने के बाद दो महीने का इंतजार भी अनिकेत को सालों जैसा लंबा लगने लगा था।
करीब दो महीने बाद पूरे रीति रिवाज के साथ अना और अनिकेत की शादी हो गयी थी। शादी के शुरुआती महीने तो हनीमून में बीत गए थे। अनिकेत और अना लाख व्यस्त होने पर एक दूसरे के लिए समय निकाल ही लेते थे। समय ही इतना कम मिलता था दोनों को एक साथ गुजारने के लिए कि जो भी पल मिलता था वो प्यार में ही गुज़रता था।
अना को अच्छा लगता था प्यार के लम्हों में अनिकेत का उसके कानों में मेरी अना कहते हुए कविता कह जाना।
अनिकेत को पसन्द था सुबह उठते ही अना के माथे पर अपनी मुस्कुराहट सजा देना। छह महीने हो गए थे अनिकेत और अना के विवाह को। हनीमून की उम्र बड़ी छोटी होती है और शादी के बाद की जिम्मेदारियों के फेहरिस्त बड़ी लंबी। कितना भी कर लो, कुछ ना कुछ कमी रह ही जाती है।
❤सोनिया जाधव
Seema Priyadarshini sahay
03-Mar-2022 05:00 PM
बहुत अच्छा भाग
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