Sonia Jadhav

Add To collaction

वार्षिक प्रतियोगिता- लेख- योग और स्वास्थय

योग और स्वास्थय

एक व्यक्ति कई सालों से बिस्तर पर था। एक दुर्घटना में उनका गले से नीचे का पूरा शरीर लकवाग्रस्त हो गया था। उन्होंने अपने बेटी से प्राणायाम के बारे में काफी सुना था। शरीर से असमर्थ होने के कारण वो सामान्य तरह से प्राणायाम या योग तो नहीं कर सकते थे, लेकिन फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। वो बिस्तर पर लेटे-लेटे गहरी साँस लेते और छोड़ते। यही प्रक्रिया वो दिन में अनगिनत बार करते। अपनी साँसों पर ध्यान लगाते हुए, वो रोज गहरी सांस लेते और छोड़ते। इस तरह से वो ध्यान भी करने लगे और प्राणायाम भी। कुछ समय पश्चात वो पूरी तरह से स्वस्थ हो गए और चलने लगे। जो डॉक्टर न कर सके, वो प्राणायाम ने कर दिया। लगातार प्राणायाम करने से उन्हें ध्यान करना भी आ गया। प्राणायाम और ध्यान के इस संगम ने उनको पूर्णतः स्वस्थ कर दिया। यह चमत्कार रातों रात नहीं हुआ, उन्हें पूरी तरह से ठीक होने में लंबा वक़्त लगा। इस लंबे वक़्त के दौरान उन्होंने हिम्मत नहीं हारी, और अपना धैर्य बनाकर रखा।
इस उदाहरण से तो आप समझ ही गए होंगे कि योग कितना जरुरी है, हमारे उत्तम स्वास्थ्य के लिए।

योग सिर्फ हमें शारीरिक रूप से ही नहीं, मानसिक रूप से भी स्वस्थ रखता है। योग एक ऐसा माध्यम है जब हमारा शरीर और मन एक ही समय में स्वयं को ब्रह्मांड से जोड़ पाता है।
योग में केवल आसन और प्राणायाम  ही नहीं, विभिन्न प्रकार की हस्त मुद्राएं भी शामिल है जो शरीर को स्वस्थ रखने में बेहद मदद करती हैं।

योग के कई प्रकार हैं जैसे कि अष्टांग योग, अयंगर योग, हठ योग, कुंडलिनी योग और विक्रम योग जिसे हॉट योगा के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह एक कृत्रिम रूप से गर्म कमरे में जिसका तापमान लगभग 105 डिग्री और 40 प्रतिशत आर्द्रता होती है, में किया जाता है। 

यूँ तो योग के बारे में सभी को पहले से जानकारी थी, लेकिन उस समय ऐसा लगता था कि योग में केवल कठिन-कठिन आसन होते हैं जो सबके बस की करना नहीं है।

योग को घर-घर पहुँचाने का श्रेय बाबा रामदेव जी को जाता है। उन्होंने योग को इतने सहज शैली में सिखाया कि अब हर घर में बच्चे से लेकर बूढ़े तक आसानी से योग करते हैं। सुबह-सुबह पार्क में जाओ तो असंख्य लोगों की भीड़ देखती है योग करते हुए। योग से कितनी ही असाध्य बीमारियां ठीक हो गयी हैं। चलिए इसी का एक उदाहरण देखते हैं।

हीरालालजी को 1998 में एक आंख से दिखाई देना बंद हो गया था। उज्जैन के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. भरत जैन के सुझाव पर देश के प्रसिद्ध नेत्र चिकित्सक डॉ. पी.एन. नागपाल के पास अहमदाबाद पहुंचकर उन्होंने परीक्षण कराया। जांच के बाद डॉ. नागपाल ने कुछ दिन उनका उपचार किया, लेकिन बाद में स्पष्ट कर दिया कि उनकी आंख की रोशनी लौटना संभव नहीं है। डॉक्टर के जवाब से वे भी मायूस हो गए। इसके बाद 2006 में उनकी दूसरी आंख की रोशनी भी चली गई। कई तरह की जांचें कराईं। इंदौर के नेत्ररोग विशेषज्ञ को भी दिखाया। उन्होंने भी कुछ दिन इलाज के बाद आंखें कभी ठीक न होने की बात कहकर इलाज से इनकार कर दिया। 

अंधत्व को नियति मानकर उन्होंने भी हार मान ली थी, लेकिन इसी बीच बड़े भाई नंदकिशोर ने योग से रोग दूर होने का दावा किया। दावे को परखने के लिए हीरालाल इंदौर के जानकी नगर, नवलखा बस स्टैंड स्थित पतंजलि योग पीठ केंद्र पर पहुंच गए। यहां डॉ. दीप्ति जैन ने हीरालाल का नि:शुल्क परीक्षण कर उन्हें आवश्यक आयुर्वेदिक दवाइयों के साथ 35 मिनट तक प्राणायाम के भस्त्रिका, कपालभाति व अनुलोम-विलोम करने का परामर्श दिया। दवाइयों के नियमित सेवन के साथ हीरालाल ने 35 के बजाए प्रतिदिन 3 से 4 घंटे तक प्राणायाम करना जारी रखा। परिणाम उन्हें मात्र 4 माह में दोनों आंखों की रोशनी लौटने के रूप में मिला। 

इस उदाहरण से हमें सीखने को मिलता है कि योग से सब सम्भव है। क्यों न आज से हम भी प्रण ले कि अपने व्यस्त जीवन से कुछ पल हम योग को देंगे, अपने शरीर को स्वस्थ बनाने के लिए देंगे। इतना तो हम खुद के लिए कर ही सकते हैं।

❤सोनिया जाधव

   4
1 Comments

Astha Singhal

03-Mar-2022 07:38 AM

बहुत ही बढ़िया लेख

Reply