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पापा मेरे! तुमसे है मेरी पहचान!

पहचान!

गुम है कहीं, ढूंढो जरा
मिलते नहीं अब निशान
मैं तुमसे हूँ, तुम्हीं से बना हूँ
तुमसे है मेरी पहचान!

पापा मेरे! बस तुम्हें जानता हूँ
दुनिया से हूँ मैं अनजान,
मैं तुमसे हूँ, तुम्हीं से बना हूँ
तुमसे है मेरी पहचान!

मैं बनकर खेलूं बच्चा कभी
माटी में सन जाता था
तुम चादर बनकर आते थे
जाने क्यों मैं डर जाता था।

तुम सूरज-चंदा सब हो मेरे
मैं न समझ पाया कभी
बरसा जो बादल, छाता बन आये
भीगने न दिया गमों से कभी।

तुम कहते नहीं थे, वो प्यार जो
समझा नहीं मैं नादान,
मैं तुमसे हूँ, तुम्हीं से बना हूँ
तुमसे है मेरी पहचान!

लगा कि बड़ा हो गया मैं
डांट सुनकर बुरा लगता था
सोचूं कितने पत्थरदिल हो
मैं तुमको नहीं समझ सकता था।

तुम पसीने तर हो, या सिर में दर्द हो
कहते नहीं थे कभी किसी से
बच्चे को अपने देखा जो हँसते
भूल जाते थे तुम सब इसी से!

मैं समझा नहीं, तेरे अनकहे प्यार को
बस होता रहा यूं ही परेशान!
मैं तुमसे हूँ, तुम्हीं से बना हूँ
तुमसे है मेरी पहचान!

आज जाना हूँ जो, तो ठाना है ये
है सारा हिसाब चुकाना मुझे
ये गलती मेरी, हाँ! गलत था मैं
कभी समझा नहीं, न जाना तुझे!

हर इक बूँद पसीने की,
मेरे लिए जो बहाया है तूने,
कभी नहीं जताउंगा
बस निभाउंगा जैसे निभाया है तूने!

एक दिन बनूँगा तेरा बेटा मैं ऐसा
जिसपर कर सकोगें तुम शान
मैं तुमसे हूँ, तुम्हीं से बना हूँ
तुमसे है मेरी पहचान!

पापा मेरे! बस तुम्हें जानता हूँ
दुनिया से हूँ मैं अनजान,
मैं तुमसे हूँ, तुम्हीं से बना हूँ
तुमसे है मेरी पहचान!



#MJ
©मनोज कुमार "MJ"

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20 Comments

Aliya khan

22-Jun-2021 09:01 PM

वाह उम्दा

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Swati Charan Pahari

22-Jun-2021 07:18 PM

बहुत खूब👌

Reply

नीलम शर्मा

22-Jun-2021 07:03 PM

Waah manoj ji kmaal likha he🙏🙏 Dil chhu gyi ye rachna🙏

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शुक्रिया नीलम जी

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