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लेखनी प्रतियोगिता -04-Mar-2022बचपन की यादै

सूरज  का आज सरकारी अध्यापक से रिटायरमेन्ट था। सूरज के सभी साथियौ ने   उनकी विदाई के लिए एक प्रोग्राम रखा था।


      सूरज ने अपनी  नौकरी के समय पूरे अनुशासन का पालन किया था। उधसे शिक्षा प्राप्त करके गये हुए अनेक छात्र थे उनमें से कोई बैक मे नौकरी कर रहा था तो कोई जज की कुर्सी पर बैठा न्याय कर रहा है।

        सूरज को  अपने पढाये हुए छात्रौ का चेहरा भी याद नही रहता था।

   एकबार की बात है उनकी पत्नी की तबियत बहुत खराब होगयी
 गाँव के डाक्टर को दिखाया उसने उनको शहर लेजाने की सलाह देदी। 

          वह कभी भी शहर के डाक्टरौ के पास गये ही नही थे परन्तु आज पत्नी के लिए उनको शहर जाना ही पडा़ था।

        वह बताये गये डाक्टर के क्लीनिक पर पहुँच गये। ़ डाक्टर के क्लीनिक का नजारा देखकर उनको पसीना आगया। परन्तु किया  क्या जाता पत्नी को दिखाना था अतः उन्हौने भी अपनी पर्ची कटवाली।और वही बैठ गये।

            कुछ समय बाद डाक्टर साहब आये। जब डाक्टर साहब की नजर मास्टरजी पर पडी़ तब वह उनके पैर छूकर बोले गुरुदेव आप यहाँ कैसे?

       मास्टरजी  आशीर्वाद देते हुए बोले," पत्नी बीमार है उनका चैकप कराने लाया हू़ँ। मैनै आपको पहचाना नही़ं।

       मै महेश हू़ँ रामपुर के शंकरलाल का बेटा । जिसको आपने अपने खर्चे से एडमीशन कराया था।"

        शंकरलाल का नाम सुनते ही उनको आज से बीस बाईस साल पहले की याद ताजा होगयी।

          तब सूरज की रामपुर गाँव के सरकारी स्कूल में नयी पोस्टिग होकर आई थी।

      एक दिन जब वह अपनी साइकिल से स्कूल आरहे थे तब उन्हौने देखा कि एक औरत एक बच्चे को पीटरही है।

     बच्चा स्कूल जाने की जिद कर रहा है। और वह औरत कहरही है कि  स्कूल जाकर  क्या डाक्टर बनेगा।चल भैस चराकर ला।

    तब सूरज ने अपनी साइकिल रोक कर कहा, " आप उसे स्कूल जाने दीजिये मालूम नही कल यह बहुत बडा़ डाक्टर ही बन जाय।"

    औरत बोली," इसकी फीस कौन देगा तू भरदेगा फीस?"

     सूरज की तब तक शादी नही हुई थी खर्चा कोई ज्यादा नही होता था  इसलिए वह बोला," मै भर दूँगा फीस आप इसे स्कूल भेजिए। कैसी माँ है आप ?

    और वह उस बच्चे को स्कूल लेआये और उसका एडमीशन करवा दिया। बाद में मालूम हुआ वह सौतेली माँ थी। 

    शंकरलाल की पहली पत्नीत्र का देहान्त होगया था ।बाद मे उन्हौने दूसरी शादी  करली थी महेश पहली पत्नी का बेटा था।

       महेश मास्टरजी व उनकी पत्नी को इज्जत से अन्दर लेकर गया और उनको सबसे पहले चैक किया और पूरी दवा भी दी।

           और वह बोला," अब आपको नही आना होगा मै आपके गाँव जाकर चैक करलूँगा। मुझे तो मालूम ही नही था कि आप फिर से राम पुर आगये है।मै भी गा़व बहुत साल से नहीं गया हूँ । "

       जब तक सूरज रामपुर में रहा था वह महेश की फीस देता रहा था। जब सूरज रामपुर से  ट्रान्सफर  होकर चलागया तब नही मालूम वह कैसे पढा़।  

        आज महेश को भी अपने बचपन की सभी यादै ताजा होगयी वह सोचरहा था कि यदि उस दिन मास्टरजी उसे स्कूल न लेजाते तब आज वह कही भैस ही चरारहा होता। वह आज जो भी इन मास्टर जी के कारण ही है। वह उनको देखते ही पहचान गया था।

       इसके बाद महेश ने रामपुर जाकर मास्टरजी की पत्नी की देखभाल की ।वह जब तक बिल्कुल स्वस्थ न होगयी वह उनका हाल पूछता रहा था।





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6 Comments

Naresh Sharma "Pachauri"

05-Mar-2022 02:12 PM

धन्यवादजी

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Shrishti pandey

05-Mar-2022 11:21 AM

Nice one

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Abhinav ji

05-Mar-2022 09:05 AM

बहुत खूब

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