पहचान

मुश्किल हालातों को आसान बनाने आता है ।

जूझकर अंधेरों से  पहचान बनाने आता है ।।

कहीं निरीह पशु चर न जायें खेत को ,
उस किसान को मचान बनाने आता है ।

टपकती हैं बूँदें रोज उनकी छतों से , 
जिन्हें बड़े बड़े मकान बनाने आता है । 

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10 Comments

Mukesh Duhan

23-Jun-2021 04:03 PM

Nice ji

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Aliya khan

22-Jun-2021 09:05 PM

बहुत खूब

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22-Jun-2021 06:51 PM

बेहद ख़ूबसूरत रचना

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