ज़िन्दगी गुलज़ार है
२५ सितंबर ज़ारून
आज पहला दिन था, जब सारी क्लासेज हुई. अब स्टडीज का सिलसिला
बा-क़ायदा हो जाएगा. कॉलेज में अब मुझे सिर्फ़ दो साल गुजारने हैं, फ़िर आमिल ज़िन्दगी का आगाज़ हो जाएगा और मैं इन दो सालों को पूरी तरह एन्जॉय
करना चाहता हूँ.
इस वक़्त रात के ११ बजे हैं और मैं इस क़दर थका हुआ हूँ कि सोने के
अलावा कुछ और करने का मूड नहीं है, लेकिन बरहलाल मेरी डायरी इस “कुछ” में शामिल नहीं
है. डायरी लिखे बगैर तो मैं सो ही नहीं सकता.
आज कॉलेज में मैंने काफ़ी मशरूफ़ दिन गुजरा, लेकिन
किसी भी क्लास में किसी किस्म की बहस के बगैर. यहाँ तक कि कशफ़ ने भी आज मुझसे बहस
करने की कोशिश नहीं की. ख़ास तौर पर सर अबरार की क्लास में एक पॉइंट पर मैं उम्मीद
कर रहा था कि वो ज़रूर कुछ कहेगी, मगर गैर-मुतवाक़ा तौर पर
(मेरे उम्मीद के उलट) वो खामोश रही. लेकिन हर गुजरते दिन के साथ सर अबरार की क्लास
में अपनी पोजीशन बहुत मुस्तहकम (दृढ़/मजबूत) करती जा रही है और पता नहीं सर अबरार
को वो क्या हो गया है कि वो उसकी बात को बहुत अहमियत देने लगे हैं.
खैर कोई बात नहीं चंद दिनों की बात है. अभी वो यहाँ नई है, इसलिए
ये रेजूर है. कुछ दिन बाद जब उसे कॉलेज की हवा लगेगी, तो फ़िर
ऐसी लड़कियाँ क्लास अटेंड करने के बजाय लॉन और कैफेटेरिया में ज्यादा पायी जाती
हैं. क्योंकि मिडिल क्लास की लड़कियाँ कॉलेज जैसी जगह पर पढ़ने नहीं, लड़के फंसाने आती हैं. ताकि अपनी क्लास से निकलकर वो अपर क्लास में आ सके
और वो भी मिडिल क्लास की एक लड़की है. वो मुख्तलिफ़ होगी? फ़रज़ाना
ने बताया था कि वो अपने अखराजात (ख़र्चे) पूरे करने के लिए ट्यूशन भी करती है. तो
ऐसी लड़कियों के लिए तो दौलत में वैसे ही बहुत चार्म होता है. मैं भी देखूंगा,
कब तक इस इमेज को बरक़रार रखती है.
आज असमारा ने मुझे अपने बर्थ-डे पर इनवाइट किया था, सो
मेरी आज शाम बहुत अच्छी गुजरी है. उस जैसी लडकी के साथ इंसान शाम तो क्या ज़िन्दगी
भी गुजार सकता है. मैं आजकल उससे काफ़ी इम्प्रेस हूँ और उसका हाल मुझसे भी बुरा है.
मेरे एक डायलॉग के जवाब में वो ऐसे १० डायलॉग बोलती है. शायद वो समझ रही है कि मैं
उसके बारे में बहुत ही सीरियस हो चुका हूँ और मैं उसकी इस ख़ुशफ़हमी को खत्म नहीं
करना चाहता. कम-अज़-कम इस वक़्त तो बिल्कुल नहीं, जब तक मुझे
कोई और अच्छी पीस नहीं मिल जाती, क्योंकि उस वक़्त तक
घूमने-फ़िरने के लिए कॉलेज में असमारा से ज्यादा आइडियल कोई लड़की नहीं है.
आज पार्टी में ओसामा ने मुझसे कहा था, “यार,
ज़िन्दगी तो तुम गुज़ार रहे हो. एक-से-एक लड़की को फंसाया हुआ है.”
मुझे उसकी बात बुरी लगी. इसलिए मैंने उसे कहा था, “माइंड
योर लैंग्वेज ओसामा. मैंने किसी को नहीं फंसाया. मैं सिर्फ़ लड़कियों की कंपनी एन्जॉय
करता हूँ. जिसे तुम फ़्लर्ट भी कह सकते हो और बस ये कोई टीन-एज़र तो नहीं, जो बेवकूफ़ बन जाये. ये बहुत मच्योर लड़कियाँ हैं और ये तो ख़ुद एन्जॉयमेंट
के लिए बॉय-फ्रेंड्स बनाती हैं. इन्हें अच्छी तरह पता होता है कि कौन किस हद
सीरियस है और जहाँ तक मेरा ताल्लुक है, तो इन अफेयर्स को दिल
का रोग नहीं बनाता. वैसे तुम ख़ुद कितने शरीफ़ हो, वो मैं भी
जानता हूँ.”
मैंने काफ़ी संजीदगी से उसकी खिंचाई की थी. वो झेंप कर हँसने लगा
था. मेरे ख़याल में आज के लिए इतना ही काफ़ी है. मुझे आज कुछ ज्यादा ही नींद आ रही
है. सो माय स्वीट डायरी, अब तुम भी सो जाओ.
Radhika
09-Mar-2023 04:35 PM
Nice
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Alka jain
09-Mar-2023 04:19 PM
बहुत खूब
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The traveller
06-Mar-2022 09:12 PM
Intresting...👍👍
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