इश्क का झरोखा

इश्क का jha


नयनों के झरोखों में कुछ नमी सी है

शायद जिंदगी में कोई कमी सी है।


रह रह के उठती है एक हूक दिल में

जज्बातों पे एक बर्फ जमी जमी सी है।


कह कर गया था वो जल्द लौटेगा

मेरे शहर में रात अभी हुई नहीं है।


उसकी आमद के इंतजार का है आलम

मैने दिल की खिड़की अभी बंद की नहीं है।


वो जो भरते थे दम मोहब्बत का हमसे

आज कहते हैं इस बात में कोई दम ही नहीं है।


एक हम हैं जो अब भी जिए जाते हैं

वरना मिटने को तेरे हुस्न पे परवाने क्या कम हैं।।


आभार – नवीन पहल – ०५.०३.२०२२ 💘💘💘💘

# pra

   7
6 Comments

Seema Priyadarshini sahay

07-Mar-2022 05:26 PM

बहुत बढ़िया

Reply

Marium

06-Mar-2022 05:57 PM

Nice

Reply

Punam verma

06-Mar-2022 10:59 AM

बहुत ही बढ़िया

Reply