Sunanda Aswal

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वार्षिक प्रतियोगिता हेतु कविताएं



विधा : कविता
शीर्षक : विदाई

शनै- शनै एक दिवस व्यतीत होता,
सूर्यास्त पश्चात सांझ की विदाई बेला ..!

रश्मि दमकती सुर्ख ओढ़नी लिए ,आंचल ,
शिख-क्षितिज कतार पंछियों का लय गायन!

सुमधुर उन्माद स्वर में भरते धरा -व्योम  ..!
छिटकते विस्तार को कैद करते आरुढ़ तम .!

तैर रहे गण, सुसज्जित बारात लिए तम..!
देहरी में स्वागत के लिए बांधी रस्म ..!

द्वाराचारा में वर पूजा की नारायण की,
बिहंसी रजनी ,आंख मिचौली खेल रही.!

मंगल- गान, शहनाईयों से दिश गूंजती,
बनाव शृंगार से गढ़ा यौवन ,हिना खूब रची.!

शीश झुकाए आ रही इंदू संग लिए अवली,
तमस छिप रहा नभ में , ज्यों माला डाली ..!

आच्छादित गैणों की भरी रात्रि , ब्रह्म मूहूर्त.!
मां ने इंदू को मनाया जाना अब अपने तीर्थ .!

शरद रात्रि , मधु बूंद गिरी,नयन भीगे -भीगे !
विदा कर इंदू ,तारक संताप लिए बुझे चले..!

#लेखनी
#लेखनी काव्य
#लेखनी काव्य संग्रह

सुनंदा ☺️




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2 Comments

Seema Priyadarshini sahay

07-Mar-2022 04:59 PM

बहुत खूबसूरत👌👌

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Punam verma

07-Mar-2022 09:35 AM

Nice

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