लेखनी कहानी -07-Mar-2022
ज़िंदगी कम तो नहीं इश्क़ मुहब्बत के लिए
उल्फतें कम हैं नए रंग मैं ढलने के लिए
फिर वही इश्क़ के अफ़साने न दोहराओ
और भी काम ज़रूरी हैं इबादत के लिए
आज लौटे है तो दुनिया ने यहीं पहचाना
जो शनासा थे रहे दूर बदलने के लिए
और फिर वक़्त ने दरयाओं का रुख मोड़ दिया
हर जगह शान से गुज़रे वो हुकूमत के लिये
आ ही जाता है वो जूता भी कभी पैरों मैं
काट लेता थे कभी पैर बदलने के लिए
Zakirhusain Abbas Chougule
07-Mar-2022 06:38 PM
Nice
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Seema Priyadarshini sahay
07-Mar-2022 04:44 PM
नाइस💐💐👌👌
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