Anju Dixit

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जीवन में

जीवन में कोई एक दिन भी न हो ऐसा,
जो अलग हो जाएं हम इंसानियत के नाम से।

आदमी हैं हम बहुत आम से,
मतलब रखते अपने काम से।

दो जून की रोटी ही जीवन का मकसद,
नही लेना किसी शोहरत तमाम से।

यह तो बड़े लोगों की, राजनीति है साहब,
हमें कोई फर्क नही पड़ता अल्लहा या राम से।

मुफलिसी में कट गई जिन्दगी कितनो की,
   कब किसी गरीब की सासें चली ताम झाम से।

अपने तो चारो पहर हैं जिन्दगी की जद्दोजहद में,
कोई फर्क नही दिखता उजली सुबह मचलती शाम से।

फर्क ही नही रहता जिन्दगी मौत का अंजुम,
गुजर जाती है जिंदगी कभी कभी उस मकाम से।

किसी तख्ते ताज की ख्वाहिश नही रखते,
बस दो बातें कर लो पास बैठकर एहतराम से।

अपनी रूखी सूखी में सुखी है हम तो खुद्दारी के साथ
नही भागते किसी के पीछे गुलाम से।


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7 Comments

Punam verma

08-Mar-2022 09:15 AM

Nice one

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Swati chourasia

08-Mar-2022 07:18 AM

Very beautiful 👌

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Dr. Arpita Agrawal

08-Mar-2022 12:27 AM

Very beautiful

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