वार्षिक प्रतियोगिता- लेख- पर्यावरण और शहर
पर्यावरण और शहर
मम्मी लाइट कब आएगी, गर्मी से बुरा हाल हो रहा है। ऐसा करता हूँ नहा लेता हूँ, नहाकर थोड़ी बदन में ठंडक पड़ जाएगी।
सोनू, जब लाइट आ जायेगी तब नहाना। तेरे नहाने के चक्कर में टँकी का पानी खत्म हो जायेगा और टँकी में पानी खत्म हो गया तो टॉयलेट कैसे जायेगा?
सुबह से लाइट न आने के कारण, आज पानी भी नहीं आया है। पीने का पानी तो बाहर से खरीदकर गुजारा चल जायेगा लेकिन टॉयलेट बाथरूम के लिए कहाँ से पानी लाएंगे?
एक डिब्बा पानी का दे रही हूँ, उससे मुँह हाथ धोले, तरो ताज़ा महसूस करेगा।
मम्मी शहर से अच्छा तो गाँव ही है, कम से कम धूप में भी पेड़ के नीचे खड़े हो जाओ तो ठंडी हवा तो मिलती है और पास में नदी भी तो है। जब घर में पानी नहीं आता तो, नदी में नहाने की सुविधा तो है।
चारों ओर इमारतें ही इमारतें हैं, हवा का नामो निशान नहीं है। ऊपर से सुबह से बिजली गुल है और बिजली नहीं तो पानी नहीं। अपने ही घर में कैद होकर रह गए हैं। बारहवीं मंजिल पर हमारा घर है, अब यहाँ से ऊपर-नीचे जाना बिना लिफ्ट के बड़ा मुश्किल है। अब समझा दादा-दादी हमारे घर रहने क्यों नहीं आते?
जो खुला वातावरण, हरियाली, ताज़ी हवा गाँव में है, वो शहरों में कहाँ?
तू सही कह रहा है सोनू। इस शहरीकरण के कारण पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुँच रहा है। हर जगह इमारतें ही इमारतें हैं और पेड़ नदारद हैं। वातावरण में अत्यधिक वाहनों के इस्तेमाल के कारण ऑक्सीजन कम होती जा रही है और प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। इस बढ़ते हुए प्रदूषण की वजह से गर्मी भी बढ़ती जा रही है।बढ़ती हुई जनसँख्या का भार पर्यावरण पर आन पड़ा है।
मम्मी पर्यावरण के बारे में ठीक से बताओ न...
सोनू, पर्यावरण में शामिल है पानी, हवा, भूमि, प्रकाश, जंगल, और अन्य प्राकृतिक संसधान। पर्यावरण के बिना जीवन असम्भव है। हम प्रकृति से सब कुछ ले रहे हैं लेकिन बदले में कुछ दे नहीं रहे। पर्यावरण को सरंक्षित रखने की बजाय हम सिर्फ उसे हानि ही पहुंचा रहे हैं।
हर जगह गगनचुम्बी इमारतें है और ज्यादातर कॉलोनियों में कार पार्किंग के लिए जगह तो बनायी जाती है, लेकिन पार्क के नाम पर थोड़ी सी घास, चार-पांच झूले और गिनती के पेड़ लगाकर पर्यावरण की तरफ अपनी ड्यूटी पूरी कर ली जाती है। न सोलर पैनल का सिस्टम है न रेन वाटर हार्वेस्टिंग का।
मम्मी हम अपने पर्यावरण को सरंक्षित कैसे रख सकते हैं?
पानी और बिजली की बचत करके। कहीं बाहर आने-जाने के लिए ज्यादा से ज्यादा पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करके। जितना खाना है उतना ही प्लेट में लो और खाना ज्यादा बच जाए तो किसी जरूरतमंद को दे दो, बारिश के पानी जमा करके और बिजली के लिए सूर्य की ऊर्जा का उपयोग करके, ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाकर और प्लास्टिक का इस्तेमाल बन्द करके हम अपने पर्यावरण को काफी हद तक सरंक्षित कर सकते हैं।
मम्मी अब से मैं शॉवर से नहाने के बजाय बाल्टी में पानी भर कर नहाऊंगा और कमरे से बाहर आते वक़्त लाइट और फैन ऑफ कर दूंगा। कल से मैं प्लास्टिक बोतल की जगह स्टील की बोतल में पानी ले जाऊंगा स्कूल में और अपने जन्मदिन के दिन मैं एक पेड़ लगाऊंगा और स्कूल में चॉकलेट की जगह सबको प्लांट्स गिफ्ट करूँगा।
इससे हमारा पर्यावरण भी खुश हो जायेगा और पर्यावरण खुश तो हम खुश।
वाह! सोनू , काश! सारे बच्चे ऐसा ही सोचे और करें जैसा तुम करना चाहते हो।
आप चिंता मत करो मम्मी, कल मैं सबको पर्यावरण के सरंक्षण में स्कूल में बताऊंगा।
❤ सोनिया जाधव
Simran Bhagat
10-Mar-2022 08:20 PM
Nyc🔥🔥
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Seema Priyadarshini sahay
10-Mar-2022 05:22 PM
बहुत ही बेहतरीन रचना
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Gunjan Kamal
09-Mar-2022 02:13 PM
बहुत अच्छी तरह कहानी के माध्यम से पर्यावरण और शहर के बारे में जानकारी दी आपने । शानदार प्रस्तुति 👌
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