ज़िन्दगी गुलज़ार है
30 दिसंबर
– कशफ़
ज़ारून मुझे गुजरात छोड़ कर गया था. हम परसो लंदन से वापस आए थे.
पिछला 1
माह इतना मशरूफ़ गुज़रा है कि मैं चाहते हुए भी डायरी नहीं लिख पाई.
पर अब जब फुर्सत मिली है, तो समझ में नहीं आ रहा कि क्या
लिखूं और क्या ना लिखूं. कल जब वह मुझे घर छोड़ने आया था, तो
रास्ते में गाड़ी ड्राइव करते हुए उसने कहा था –
“कशफ़ तुम्हारे लिए एक ख़ुशखबरी है. तुम्हारा तबादला
इस्टैब्लिशमेंट डिवीजन में करके तुम्हारी खिदमत (सर्विस, सेवा)
फेडरल गवर्नमेंट के सुपुर्द कर दी गई है. अब तुम भी इस्लामाबाद में काम करोगी. मैं
हर जगह तुम्हें अपने साथ रखना चाहता हूँ.”
मैं उसकी बात पर हैरान रह गई थी. हनीमून के दौरान मेरे लिए इस तरह
रुपया खर्च करता रहा था, जैसे वह बहुत बेकार सी चीज थी और मैं सोचती रही थी
कि क्या वाकई उसके लिए मैं बाकी हर चीज़ से ज्यादा हूँ. मैं सोचती हूँ कि उसमें ऐसी
कौन सी खूबी है कि ख़ुदा ने इसे सब कुछ दे रखा है. मैंने एक बार भी उसे नमाज़ पढ़ते
नहीं देखा और शायद उसने ईद की नमाज़ के अलावा कभी नमाज़ पढ़ी भी नहीं है, फिर भी ख़ुदा ने उसे सब कुछ दे रखा है. अभी थोड़ी देर पहले उसका फोन आया था
और वह काफ़ी नाराज था. उसने मुझसे कहा था –
“क्या ज़रूरत है तुम्हें अपने वालिदान के घर इतना
ज्यादा रहने की?”
मैं उसकी बात पर हैरान रह गई थी, क्योंकि मैं अभी ही तो
आई हूँ और वह कह रहा था, इतना ज्यादा रहने की क्या ज़रूरत है.
बहरहाल मैं अब परसों वापस चली जाऊंगी क्योंकि वह मेरे बगैर कुछ ज्यादा ही परेशान
रहता है.
Radhika
09-Mar-2023 04:20 PM
Nice
Reply
Alka jain
09-Mar-2023 04:07 PM
बहुत खूब
Reply