विदाई … ज़रूरी है स्थिर प्रेम संबंधों में अस्थिर अपेक्षाओं की विदाई …
ज़रूरी है सच के पुलिंदों पे झूठ के आवरण की विदाई ,
आकाश तक पहुँचती प्रार्थनाएँ और हर प्रार्थना से मोह की विदाई,
मुझे पता है तुमसे मेरी और मुझसे तुम्हारी विदाई नहीं स्थाई ,
अस्थाई अनुराग में क्या स्थायित्व की अब भी है गुंजाईश ?
विदाई ली है नभ ने भी कितनी बार बादलों से ,
फिर से देखो हवा ने उसके सीने पर नन्हें बादलों की फसल है उगाई ,
तड़पाती विदाई …. हँसाती विदाई … रुलाती विदाई … गुनगुनाती विदाई …
मेरे हिस्से में आख़िर कौन सी विदाई ? क्यों मौन सी विदाई ?
… क्यों मौन सी विदाई
🌻लेखिका ✍️©®शिवांगी शर्मा
🌻©®Shivangi Sharma - शब्दों के शिखर
🌻स्वरचित , मौलिक व सर्वाधिकार सुरक्षित
Seema Priyadarshini sahay
11-Mar-2022 04:58 PM
बहुत बेहतरीन
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Shivangi Sharma - शब्दों के शिखर
12-Mar-2022 08:22 PM
Thank you so much ❤️❤️💐💐
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Simran Bhagat
10-Mar-2022 08:18 PM
Nice
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Shivangi Sharma - शब्दों के शिखर
12-Mar-2022 08:22 PM
Thank you so much ❤️❤️💐💐
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Swati chourasia
10-Mar-2022 04:43 PM
Bohot hi sundar rachna 👌
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Shivangi Sharma - शब्दों के शिखर
12-Mar-2022 08:21 PM
Thank you so much ❤️❤️💐💐💐
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