विदाई

|| विदाई ||

विदाई … ज़रूरी है स्थिर प्रेम संबंधों में अस्थिर अपेक्षाओं की विदाई …

ज़रूरी है सच के पुलिंदों पे झूठ के आवरण की विदाई ,

आकाश तक पहुँचती प्रार्थनाएँ और हर प्रार्थना से मोह की विदाई,

मुझे पता है तुमसे मेरी और मुझसे तुम्हारी विदाई नहीं स्थाई ,

अस्थाई अनुराग में क्या स्थायित्व की अब भी है गुंजाईश ?

विदाई ली है नभ ने भी कितनी बार बादलों से ,

फिर से देखो हवा ने उसके सीने पर नन्हें बादलों की फसल है उगाई ,

तड़पाती विदाई …. हँसाती विदाई … रुलाती विदाई … गुनगुनाती विदाई …

मेरे हिस्से में आख़िर कौन सी विदाई ? क्यों मौन सी विदाई ?

… क्यों मौन सी विदाई 

🌻लेखिका ✍️©®शिवांगी शर्मा
                    🌻©®Shivangi Sharma - शब्दों के शिखर
                  🌻स्वरचित , मौलिक व सर्वाधिकार सुरक्षित


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6 Comments

Seema Priyadarshini sahay

11-Mar-2022 04:58 PM

बहुत बेहतरीन

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Thank you so much ❤️❤️💐💐

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Simran Bhagat

10-Mar-2022 08:18 PM

Nice

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Thank you so much ❤️❤️💐💐

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Swati chourasia

10-Mar-2022 04:43 PM

Bohot hi sundar rachna 👌

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Thank you so much ❤️❤️💐💐💐

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