Anu koundal

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कलयुग

दुर्योधन सा व्यवहार,,,
आज हर कोई सीख रहा,
चाल से दूसरों को हरा,
छल को अपना हाथ बनाकर,
अपने साथी को गिराकर,
खुद आगे व्यक्ति निकल रहा।


कलयुग में काला बाजारी का,
 छाया ,कुछ इस कद्र जादू है,,,
राम अवतारी समझे जाते,,,,
वो पाखंडी बाबा,
आज हुए बेकाबू है।


जो खुद को आम आदमी है बताते,,,,
मकानों से निकला उनके,
अरबों करोड़ों का धन है।
लालच के मारे,,,,,
काले नोटों की गड्ढियों में डूबे,
झोपड़ी वाले को गन्दा कह,
खुद की छाती फुलाते,,,,,।

दशा देख आज की,
भरोसा शब्द अर्थहीन हो रहा,,
कलयुग का समय आज,
काला बाजारी के अधीन रो रहा।

          "अनु कौंण्डल"

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2 Comments

Seema Priyadarshini sahay

11-Mar-2022 04:49 PM

बहुत खूबसूरत

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Madhu Koundal

11-Mar-2022 12:02 AM

अति उत्तम

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