आमदनी
आमदनी क्या चीज़ है तू,
तेरे सहारे मेरा महीना चले।
हर बार तेरी ही राह,
निहारी जाती है।
महीना शुरू होने से पहले ही,
तेरी याद आ जाती है।
आमदनी क्या चीज़ है तू,
जो मेरे परिवार को चलाती है।
सारी उनकी जरुरतों को,
तू धीरे - धीरे पूरा कर जाती है।
तू खड़ी है अभी भी वहीं,
पर खर्चे अब बढ़ने लगे,
महंगाई के इस दौर में,
आज भाई-भाई लड़ने लगे।
आय क्या चीज़ है तू,
सब पेशेवरों के पास जाती है।
कहीं कम,
कहीं ज्यादा,
तू सदा साथ निभाती है।
आमदनी क्या चीज़ है तू......।
"अनु कौंण्डल"
Seema Priyadarshini sahay
11-Mar-2022 04:48 PM
बहुत खूबसूरत
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The traveller
11-Mar-2022 04:45 PM
Good...
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