जिंदगी से विदाई -लेखनी प्रतियोगिता -10-Mar-2022
किया बड़ा सब्र अब तो सुध लीजिए
न सहा जाए गम, कुछ कह दीजिए
खोल आँखें अब एक उम्मीद दीजिए
दे मौत को मात सबसे सुलह कीजिए
गम के छाए बादल अब हटा दीजिये
रिश्तों से इस तरह विदाई न कीजिए
दोस्ती जिंदगी से आज कर लीजिए।
हो सखा तुम मेरे, भाई भी हो प्यारे
हो बचपन के साथी संरक्षक भी मेरे
लड़ते-झगड़ते कैसे बचपन था बीता
कभी हारती थी मैं और तू था जीता
जिंदगी की जंग आज जीत लीजिए
अपनों से इस तरह विदाई न कीजिए
दोस्ती जिंदगी से आज कर लीजिए।
है नन्हीं-मुन्नी परी पापा की लाडली
सौभाग्य है ये उसका गोद तेरी पली
आज उसको अपनी उंगली पकड़ा
जीवन पथ पे चलना सिखा दीजिए
बिखरी है जो जिंदगी सँवार दीजिए
मुन्नी से इस तरह न विदाई लीजिए
दोस्ती जिंदगी से आज कर लीजिए।
आँखों में है नमी, दिल हर पल डरे
जुबा करती दुआ, लब भी ना रुकें
तमन्ना है यही फिर मुस्कुरा दीजिए
हर विपदा को अब मिटा दीजिए
संघर्ष करके मौत को हरा दीजिए
संग न जा मौत को विदा कीजिए
दोस्ती जिंदगी से अब कर लीजिए।
स्वरचित एवं मौलिक रचना
डॉ. अर्पिता अग्रवाल
नोएडा, उत्तरप्रदेश
Seema Priyadarshini sahay
11-Mar-2022 04:44 PM
बहुत ही बेहतरीन
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Dr. Arpita Agrawal
11-Mar-2022 05:59 PM
हार्दिक आभार सीमा जी 🥰
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Rakhi mishra
11-Mar-2022 04:32 PM
bahut hi accha likha hai mam aapne
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Dr. Arpita Agrawal
11-Mar-2022 05:58 PM
जी शुक्रिया राखी जी 😊
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Abhinav ji
11-Mar-2022 08:53 AM
Very nice mam
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Dr. Arpita Agrawal
11-Mar-2022 02:14 PM
बहुत-बहुत धन्यवाद अभिनव जी
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