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प्रतियोगिता

दूसरों की कहानी में, ख़ुद के क़िस्से ढूँढ रहा हूं,
टूट चुका हूं मैं, अपने बिखरे हिस्से ढूँढ रहा हूँ।

गुस्सा तो आता है, अपने मुफलिस हालात पर,
पर उम्मीद है कि अभी मोहरे शेष हैं बिसात पर।

ग़म का यह घना अंधेरा एक दिन छट जाएगा।
भरोसा है खुद पर कि अपना भी वक्त आएगा।

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10 Comments

Achha likha hai aapne 🌺🙏

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Madhumita

24-Aug-2022 11:11 AM

बेहतरीन

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Gunjan Kamal

24-Aug-2022 08:26 AM

वाह बहुत खूब

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