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नागफेनी


नागफेनी--6

सिमरन के सिर में बहुत तेज दर्द था,वह रातभर सोई नहीं थी तो वह नीति मैम के साथ रूक गई।

बाकी सारे बच्चों ने अपने थीसिस वर्क के लिए नाम जमा कर दिया था।

इसलिए,क्योंकि सारे बच्चे डर गए थे,अविनाश सर और शोभित सर ने सर्पगंधा नदी के किनारे पिकनिक बनाने का निश्चय किया था।

सब बच्चे पिकनिक का सारा सामान लेकर नदी किनारे पहुंचे।

दो चूल्हे बनाए गए थे-एक लड़कों का,दूसरी लड़कियों का।
दोनों के ग्रुप्स बाँटे गए थे।लड़कियों के जिम्मे सब्जियां और रायते थे।लड़कों को चावल और कचौडियां बनानी थीं।

टीचर्स  सर्पगंधा नदी के इतिहास के बारे में विस्तार से एक्सप्लेन  भी करते जा रहे थे--

सर्पगंधा नदी का इतिहास आज तक किसी को नहीं पता..,कहाँ से इसका उद्गम हुआ..,अचानक यह कहाँ से बहते हुए इस वन स्थली की तरफ आ गई ।
इसका नाम सर्पगंधा  क्यों पड़ा..!!

ये सारी बातें किसी को भी नहीं पता..यहां तक कि बाहर सारे भूगर्भशास्त्रीयों ने बहुत कुछ जानन की कोशिश भी की,पर नहीं जान पाए..!!,,

वैसे देखने में सर्पगंधा नदी एकदम शाँत आम पहाड़ी नदियों की तरह ही थी।बिलकुल छिछली..हाँ बरसात के बाद थोड़ा गहरी हो जाती थी,अन्य पहाड़ी नदियों की ही भाँति।

दो ग्रुप्स खाना बनाने में जुटे थे वहीं अमन,राज और विकास तीनों पानी लाने के बहाने नदी में पैर डाले चल रहे थे।

नदी की धार सामान्य थी,कहीं पर छिछली कहीं थोड़ा गहरी..।तीनों चलते चलते थोड़ा आगे बढ़ते हैं।

सामने दूर से बसई का जंगल दिखाई दे रहा था।
राज,अमन और अजय तीनों ने एक दूसरे का चेहरा देखा फिर अंदर जाने की सोचने लगे।

अमनः देखो,सामने बसई का वन...यहीं पर सर्पगंधा नदी आगे जाकर खो जाती है..!!

राजः सर्पगंधा नदी कहाँ से शुरू होती है,यह भी कोई नहीं जानता..मुझे तो सचमुच ऐसा लगता है कि यह कोई शापित परी ही है..!!

अजयः पता नहीं,पर कल रात जो मैंने देखा वो जलती बुझती बत्तियाँ...क्या यह एलियंस के संकेत नहीं हैं..!!
इस भूतिया जंगल में कोई राज तो छुपा है।

उसी समय रिया उन तीनों को जोर जोर से आवाज देकर बुलाने लगी।
तीनों हड़बड़ा गए।वापस आए।सब कचौरियां तलने में हेल्प के लिए बुला रहे थे।

बच्चे और टीचर्स सब खाना एन्जॉय करते हुए खा रहे थे।

टीचर्स ने गांव के कई लोगों को बुलवाया था। बसई के जंगल का मुयायना कराने को।

पूरा जंगल सागौन और सखुआ के पेड़ों से घिरा हुआ था।

दोपहर का भोजन समाप्त होते दिन के 1:00बज गए थे।ड्राइवर ने सारा सामान गाड़ी में रख दिया था।अब सभी फ्री हो गए थे।
भोजन के बाद शोभित सर और अविनाश सर ने बच्चों को एक जगह इकट्ठा होने को कहा।
सारे बच्चे और गांववाले एक जगह खड़े हो गए।

अब सर ने कहना शुरू किया।

शोभित सरः देखो बच्चों,हमलोग यहां अपना रिसर्चवर्क पूरा करने आए हैं न कि बसई और सर्पगंधा नदी की तहकीकात में।याद रखना जितनी दूर तक हमलोग कहेंगे उतनी ही दूर तक तुमलोग जाओगे।

अविनाश सरः देखो,स्टूडेंट्स, हम इस छोटानागपुर पठार की ही वंशज हैं तो अपनी मातृभूमि के बारे में जानकारी रखना हमारा धर्म है।हम यहां के जंगलों और प्राकृतिक संरचनाओं को जानेंगे ।

यहां की मिट्टी,यहां के रहनसहन और संभावना के बारे में सोचेंगे और उसे ही थीसिस का विषय बनाएंगे।कल-परसों जो भी जिसके साथ भी हुआ उसे भूल जाओ..हम यहां एलियंस या उस शापित परी या उल्कापिंड के बारे में नहीं जानने आए हैं...सो कीप द पेशेंस एंड फॉलो द गाइडलाइंस..!!

शोभित सरः ये गांव के कुछ लोग हैं जो कि हमें रास्ता बताएंगे।
शोभित सर ने उनका परिचय कराते हुए कहा--
,,ये हैं मंगल,ये काशी और ये हैं बँसी।,,

बच्चों ने ताली बजाकर उनका स्वागत किया।

फिर सब चल पड़े बसई के जंगलों की ओर।

बँसी,मंगल और काशी तीनों इस पूरी टीम की अगुवाई कर रहे थे।

...क्रमशः

स्वरचित...
सीमा...✍️❤️

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12 Comments

Shnaya

07-Apr-2022 12:12 PM

Very nice👌

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Abhinav ji

07-Apr-2022 08:08 AM

Nice

Reply

Dr. Arpita Agrawal

20-Mar-2022 11:49 PM

अति सुंदर 👌👌

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