बचपन की यादें - परीक्षा के दिन। भाग 1
परीक्षा। जिससे प्रत्येक परीक्षार्थी डरता है। परीक्षा न देनी पड़े, एग्जाम टल जाये। हो ही न एग्जाम। ये ही मनाता है। पर क्या करे जिन्दगी हो या स्कूल , परीक्षा तो देनी ही पड़ती है। नही तो हमें अपनी तैयारी का पता कैसे चलेगा?
परीक्षा के टाइम तीन तरह के स्टूडेंट होते है। एक जो पूरी तरह से साल भर एकदम मन लगा कर तैयारी करते है औऱ हमेशा स्कूल, टीचर और घर वालों के आँख के तारे बने रहने के फिराक में रहते है। परीक्षा में किसी अनुचित साधन का प्रयोग नही करते है और दूसरों को जल्दी बताते भी नही है। इनके नोट्स सदैव पूरे रहते है। क्लास में टीचर द्वारा कोई सवाल पूछे जाने पर तुरन्त जवाब देते है। परीक्षा में सुन्दर राइटिग में में लिखते है एवं सदैव एकस्ट्रा शीट माँगते रहते है।
दूसरे जो कभी कभार पढ़ाई कर लेते है। ठीक ठीक सिलबेस जानते है ।क्लास में टीचर के सवालो का जवाब दे देते है। टीचर भी इनसे खुश ही रहते है। ये कभी कभी सरप्राइज बम फोड़ देते है अधिक नम्बर लाकर। इनके घर वाले सिर्फ पढ़ रहा है न, इससे ही खुश है। ये कभी परीक्षा में चिट वगैरा नही ले जाते है, पर मिल जाये तो ले भी लेते है। दूसरो के कॉपी में ताँका झाकी कर लेते है और सवाल पूछ भी लेते है।
तीसरे आते है एक नम्बर के निखट्टू। साल भर टॉपर को परेशान करे के बाद , टीचर के सवाल पूछते ही बस बेंच पर खड़े होकर ‘जवाब नही आ रहा है’ ये बोलकर अपना काम चला लेते है। किसी न किसी शरारत में संलग्न रहने वाले पर स्कूल में कोई भी कार्यक्रम हो उसकी साज सज्जा में भागीदार बन जाने वाले। वक्त पर जिनके नोट्स पूरा नही होते। जो लिखते भी दूसरो से पेन माँग कर है, क्योंकि ये अपने पेन तो कहाँ गुमा कर आये है इन्हें खुद न पता है। जिनके घर वालों ने इन्हें बोलना छोड़ दिया है। ये परीक्षा आते ही नोट्स पूरा करने लगते है। मन ही मन मनाते है कि कोई ट़ॉपर या बताने वाला इनके आगे बैठ जाये और ये उनको पेन से खोद खोद कर ‘अबे 5वाँ का दूसरा बता’ बोल सके या तो ये पेपर के जुगाड़ में ही लग जाते है या महत्वपूर्ण सवालो के लिए टीचर और टॉपर से पूछ कर आते है। जो किताब टॉपर ने 1 साल में पूरी की उसे ये 4 घण्टे मे ही पूरा किताब सीखने के लिए अड़ जाते है और थोड़ा बहुत सीख भी जाते। फिर तमाम तरह की तिकड़म भीड़ाने के बाद ये 55-60 प्रतिशत ला कर जश्न की तैयारिया करते है जबकि दूसरी तरफ टापर 97 भी लाके ‘थोड़ा और पढ़े रहते तो 100 हो जाता’ कह के खुद को कोसते है।
जब भी हमारे स्कूल में परीक्षा होती तो एक सा तूफान आ जाता। जिन्होंने अपने नोट्स नही पूरे किये होते वो नोट्स पूरे करने लगते। कई लोग मिन्नते करके कॉपी माँग कर ले जाते। अरे यार दे दो। नही यार मुझे भी तो पढ़ना है। अरे ठीक है तुम दूसरा विषय पढ़ लेना। इसको हम रात भर में पूरा कर लेगे उसके बाद तुम कल स्कूल में लेना। ठीक है। हम रात में 8 बजे आते है तो ले जायेगे। क्यों पूरा हुआ तुम्हारा नोट्स? अरे नही यार कल रात को 5 पेज लिखे। फिर सोचे थोड़ा मूड फ्रेश करने को कॉमिक्स पढ़ ले। वो ही पढ़ते पढ़ते कब नींद लग गया मालूम ही न चला। उठ कर देखते है कि सुबह का 5 बजा है। तो जल्दी जल्दी पूरा किया तो आधा ही पूरा हुआ है। आज भर के लिए दे दो। लेकिन मेरे को ये समझ नही आया कि मैं सोया तो 2 मिनट के लिए था फिर 8 घण्टे कैसे सो गया? अब शान्त रहो दिमाग न खाओ। 10 दिन बाद एग्जाम है। टाइम टेबल आ गया है। कॉपी दो। हाँ हाँ ले ले बड़ा आया फेयर कॉपी पूरा करने वाला। मैं किसी ओर से माँग लूँगा। अरे भाई दे दो कोई कॉपी।
जैसे जैसे एग्जाम नजदीक आने लगता रीविजन की तैयारी जोरो शोरो से शुरू हो जाती। जो सवाल या पाठ मे दिक्कत होती उसके लिए शिक्षक जी से तुरन्त सम्पर्क किया जाता और टीचर “जब क्लास में पढ़ा रहे थे तो सो रहे थे, अब पूछना है इनको। चलो भागो”। अरे सरजी बता दीजिए। ठीक है बाद में एकस्ट्रा क्लास ले लेगे। पढ़ना लिखना है नही बस क्रिकेट खेलो, कॉमिक्स पढ़ो, साइकिल लेके यहाँ से वहाँ घूमो। अब परीक्षा के समय याद आ रहा है कि पढ़ाई भी होता है। बदमाश कही का। चलो यहाँ से। सर कोई महत्वपूर्ण सवाल बता दीजिए। जो आ जाये। जिसके आने का चांस हो। महत्वपूर्ण सवाल ही क्यों लोगे? पेपर ही ले लो। दूबे जी लाइये तो पेपर का बंडल इनका पेपर दे दिया जाये। हाँ सर दे दीजिए आप कितने अच्छे है। भाग यहाँ से नही तो 4 डण्डा दूँगा। पेपर चाहिए इनको।
उधर टीचर से ट्यूशन पढ़ने वालो को कोई गम नही होता । टूशन पढ़ के नालेज हो ही गया है। अब उसके बाद सर थोड़ा सा महत्वपूर्ण सवाल बता देगे तो 90 से कम नम्बर आयेगा ही नही। अब तो टॉप करे जाना है। ट्यूशन उस समय बहुत कम लोग ही पढ़ते थे। बाकी सब खुद से सवाल हल करने का प्रयास करते और खुद से महत्वपूर्ण सवाल नोट करके ‘अब कुछ भी आये मैं तो इसी को लिख कर चला आउँगा , अब कितना पढ़े कोई’ यही मन ही मन विचार करते रहते।
क्रमशः
Arman
27-Nov-2021 12:06 AM
Nice
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Zeba Islam
21-Nov-2021 06:05 PM
Nice
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