Harsh jain

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मैंने

नदी,सरोवर,ताल,समंदर रीते देखे हैं मैने! 

खुद के आंसू लोग यहाँ पर पीते देखे हैं मैंने! 

घुट घुट कर जीना पड़ता है जीने की मजबूरी मे! 

कितने लोग यहाँ पर यूँ ही जीते देखे हैं मैंने!! 


            हर्ष जैन सहर्ष

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5 Comments

Nitish bhardwaj

22-Jul-2021 08:20 PM

वाह बहुत खूब

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Zakirhusain Abbas Chougule

22-Jul-2021 07:57 PM

बहुत खूब

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Niraj Pandey

22-Jul-2021 07:54 PM

वाह गजब👌

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