Bali phlwan

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गम-इ-हयात



गम-इ-हयात दिल में ले के जिदंगी से गुजर गया हूँ
मुहब्बत मुहब्बत कर के मैं मुहब्बत में मर गया हूँ

यूँ तो कोई नहीं है मेरा और ना हीं में हूँ किसी का
अपने आप में खो कर जमाने में बे-खतर गया हूँ

में अनजाना सा मुसाफिर यहाँ हमसफ़र मेंरा साया है
कोई नहीं जानता मुझे में मेरा नाम सुनके डर गया हूँ

धुप में चला नहीं जाता रूकूंगा तो पाव जलेंगे मेरे
विराने से सफर में कांटों के पेड़ की छाव में ठहर गया हूँ

यहाँ इश्क़ जाल में अक्सर गुम हो जाते हैं लोग आदि, 
इस जाल से सबको सही रास्ता बता कर घर गया हूँ।


बाली पहलवान 

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2 Comments

Shivani Sharma

20-Mar-2022 01:22 AM

Nice

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Swati chourasia

17-Mar-2022 06:55 PM

बहुत सुंदर 👌

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