Bali phlwan

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होली आई रे




*8368323740*  *बाली पहलवान*

होली आई होली आई ,
साथ में ले रंगोली आई ।
बच्चे बूढ़े युवा स्त्री पुरुष ,
सबके मन खुशियाँ बरसाई ।।
नववर्ष का प्रथम दिवस ,
प्रथम माह चैत्र कहलाता ।
प्रथम माह का प्रथम् दिवस ,
भारतीयता को है हर्षाता ।।
हिन्द देश का है यह होली ,
होली है हिन्दू का त्यौहार ।
जाति धर्म बैर को भूलकर ,
सबके साथ उत्तम व्यवहार।।
बसंतपंचमी से फाग गरजता ,
फागुन में फागुन रस चहके ।
लाल पीला हरा रंग गुलाबी ,
पिचकारी भर बच्चे बहके ।।
एक माह पहले रंग बरसाता ,
नववर्ष का यह होली त्यौहार ।
होली आता खूब हल्ला करते ,
उत्कर्ष का लिए बड़ा आकार ।।
होता है बड़ा आकार इसका ,
नहीं होता इसमें कोई विकार ।
प्रेम मिलन होता सबका सबसे ,
 सबका सर्वत्र होता है सत्कार ।।
प्यार से गाल पर गुलाल लगा ,
या पैर पर रख करते हैं प्रणाम ।
रंग के रंगों में रंग वे रंग दिखाते ,
रंग रंगीले जन जन दिखते शाम।।
पूआ पाक मिठाई खाते खिलाते,
पीकर भाँग खूब जमाते फाग ।
वीर रस शृंगार रस खूब बहाते ,
फाग बारहमासा का सुंदर राग ।। 
प्रेम सद्भाव को है यह जगाता ,
विश्वबंधुत्व का है मार्ग दिखाता ।
एक ही मालिक के हमसब वंदे ,
हर मानव है मालिक को भाता ।। 
किसी को लगा गुलाल गुलाबी ,
किसी को लगा है हरा गुलाल ।
कोई देखने में हैं पीले दीखते ,
किसी के मन नहीं कोई मलाल ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना ।

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1 Comments

Swati chourasia

17-Mar-2022 06:53 PM

बहुत ही खूबसूरत रचना 👌

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