Sahil writer

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दोस्त

मेरा दिल आज भी पुकारता है तुझे

मेरी धड़कने आज भी तरसती है 

तेरा नाम ले लेकर आज भी पूछती है 

तेरा याद आते ही आज भी ये आँखे झलकती है 

तेरे दीदार को अब भी ये नैना तरसते है 

जानते है तुम्हारे लिए एक दोस्त से ज्यादा कुछ नही है हम

पर किया करे हम जो दोस्त से ज्यादा होंगे तुम 

एक तुम्हारे सिवा कोई भया नही हमे 

किसी और से यह दिल अपना लगाया नही 

प्यार तुम्हारा मिले या न मिले कोई गम नही 

तुम भी हम से प्यार करो यह तो जरूरी नही 

तुम दोस्त ही मन लो बस यही काफी है

अपना बनाओ लो ये जरूरी तो नही .........

Sahil writer.........

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