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जोगीरा


प्रतियोगिता के लिए
जोगीरा छन्द (सरसी छन्द)

जोगीरा सा रा रा रा रा

फागुन  देवर लागे बाबा, बहू करे हुडदंग।
नाद के पीछे छिपे बाबा, गाय बैल के संग।
जोगीरा सा रा रा रा

ढम ढम ढोल कहीं  पर बाजे, बाजे कहीं मृदंग।
सबहीं गायें झूमे नाचें,   पिये मस्त सब भंग।।

कबीरा सा रा रा रा रा
जोगीरा सा रा रा रा रा

मुँह पर सबके  रंग लगा है, नहीं कोई पहचान।
साजन ने साली को चूमा, सजनी  ऐंठे कान।।
कबीरा सा रा रा रा रा
जोगीरा सा रा रा रा रा

एक हाथ में ले पिचकारी, एक हाथ में भंग।
सजनी पीछे दौड़े साजन, छिड़ी हुई है जंग।।

कबीरा सा रा रा रा रा
जोगीरा सा रा रा रा रा

खेल रही ननदी भौजाई ,होली सबके  संग 
भूल गईं नहि लाज लजाई, करें रंग से जंग ।।

कबीरा सा रा रा रा
जोगीरा सा रा रा रा 

फागुन देवर लागे बाबा, बहू ने डाला रंग।
बूढ़ा मन भी बहकन लागे, देख लुगाई संग।।

रचना पूर्णतः मौलिक एवम स्वरचित है

@℃®स्नेहलता पाण्डेय 'स्नेह'

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8 Comments

Seema Priyadarshini sahay

22-Mar-2022 12:55 AM

वाह मैम मजा आ गया

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Punam verma

19-Mar-2022 02:39 PM

Very nice

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Ekta shrivastava

19-Mar-2022 10:15 AM

बहुत बढ़िया जोगी रा सा रारा👏👏👏

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