लेखनी प्रतियोगिता -20-Mar-2022गांव की दुनिया
शीर्षक = गांव की दुनिया
रात के आठ बजे । हाइवे पर एक गाड़ी काफी तेज जा रही होती है जिसके अन्दर एक आदमी जो की गाड़ी चला रहा होता है । और एक महिला जो की उसकी बगल वाली सीट पर बैठी होती है और एक पांच साल का बच्चा डरा सहमा पीछे सीट पर बैठा अपने माता पिता को लड़ते देख रहा होता है।
तुम तो हो ही गंवार तुम्हे क्या पता शहर की पार्टी कैसी होती है । मुझे बस तुमसे तलाक चाहिए तंग आ गई हू में तुमसे अब बहुत हो चुका । बगल वाली सीट पर बैठी काजल जो की एक डॉक्टर है अपने पति कपिल से गुस्से में कहती ।
कपिल , " हा हूं मैं गांव का गवार मुझे नही अच्छा लगा की कोई और आदमी मेरे सिवा तुम्हे देखे या छुए अब इसे तुम चाहे मेरी गेरत समझो या गंवार पन । मुझे भी तुम्हारे साथ रहने का कोई शोक नही जिसे अपने पति की परवाह ना हो ऐसी पत्नि से तो बंदा कुवारा बेहतर । जिसे सिर्फ अपने काम अपने प्रोफेशन की पड़ी हो । ये भी नही पता कि पति ने खाना खाया भी है या नही । या फिर पूछ ही लू की खाना गर्म करदू । शादी के बाद भी अगर आदमी को सारे काम खुद ही करना पड़े तो इससे बेहतर तो वो शादी ही ना करे"
काजल , " पत्नि हू कोई गुलाम नही तुम भी जॉब करते हो और मैं भी जितना खर्च तुम देते हो उससे कही ज्यादा मैं देती हू "
कपिल ," क्या पति की देखभाल करना , उसके लिए खाना गर्म करना , उसके थोड़े बहुत काम करना ? गुलामी कह लाता है काजल मैडम । बस यही फर्क होता है तुम शहर और गांव की लड़कियों में ।
गांव की लड़की अपने पति को परमेश्वर समझती है और तुम चार किताबे पढ़ कर पति को पैर की जूती समझती हो । ऐसे घर नही चलता है । बस बहुत हो गया घर पहुंचते ही सबसे पहले अदालत में तलाक की अर्जी दूंगा "
अपने माता पिता को यूं बिल्लियों की तरह लड़ते देख पीछे बैठा पांच साल का मासूम ईशान डरा सहमा एक कोने में बैठा होता है । उसका चेहरा उदास था वो किसी गहरी सोच में डूबा था ।
तभी उसने अपने गले में पड़े एक लॉकेट को हाथ में लिया । जिसमें भगवान श्री कृष्ण की छोटी सी मूर्ति लटक रही थी जो उसे उसकी एक दोस्त ने उपहार में दी थी वो अक्सर उस लॉकेट से बाते करता था ।
उस रात भी उसने अपने मन ही मन में कहा " भगवान जी क्या में इतना बुरा हू की मुझे ऐसे माता पिता मिले जो हर वक्त लड़ते रहते है । और अब ये लोग अलग होने की भी बाते कर रहे है यानी की जिंदगी भर मुझे किसी एक के प्यार से वांछित ही रहना पड़ेगा । इससे तो अच्छा होता कि आप मुझे दुनिया में भेजते ही नही । क्या आप कुछ ऐसा कर सकते है जिससे की मेरे माता पिता और बच्चों के माता पिता जैसे हो जाए प्लीज भगवान जी "
ये कह कर वो अपनी आंखे बंद कर लेता है ।
तभी अचानक तेज हवाएं चलने लगती है । ये क्या हो रहा है काजल डरते हुए कहती है ।
कपिल , "मुझे लगता है तुफान आ रहा है कही हम रास्ता ना भटक जाए "
देखते ही देखते तूफान अपने उरूज पर आ जाता है और आस पास के सारे पैड टूट कर गिरने लगते है । इसी दोरान कपिल की गाड़ी तेज हवा की वजह से रास्ता बदल लेती ओर डिसबैलेंस हो कर एक पैड से टकरा जाती और वो लोग गाड़ी से निकल कर बाहर गिर कर बेहोश हो जाते है ।
अगली सुबह ,
कपिल दर्द से कराहते हुए अपनी आंखे खोलता और दर्द भरी आवाज में कहता " मैं कहा हू मेरी पत्नि और बच्चा कहा है । क्या हुआ हमारे साथ "
बेटा घबराओ मत तुम्हारी पत्नि और वो बच्चा सही सलामत है । और तुम भी अब ठीक हो । कल रात तूफान की वजह से तुम्हारी गाड़ी हमारे गांव सोनापुर में आ कर एक पैड से ठुक गई थी वो तो शुक्र है भगवान का कि तुम लोगों को सुबह सवेरे गांव वालो ने देख लिया और मेरे पास ले आए मेरा नाम भुवन है और मैं यहां का हकीम हू ।
कपिल , " मुझे मिलना है अपनी पत्नि और बच्चे से । मैं देखना चाहता हूं । ये कह कर वो बिस्तर से उठ कर बाहर की तरफ जाता है जहा उसकी पत्नि और बच्चा सही सलामत बाहर बैठे थे ।"
ठीक हो तुम लोग , कपिल ने पूछा
जी पापा मम्मी और मैं ठीक हू , देखे ना पापा कितना सुंदर गांव है ऐसा गांव तो सिर्फ परियों की कहानी में देखने को मिलता है ईशान कहता है ।
काजल , " ये सब तुम्हारी वजह से हुआ है कपिल ना तुम वो हरकत करते ना मैं तुम पर गुस्सा होती और ना ही तुम गाड़ी तेज चलाते और हम तूफान मै फसते " अब चलो घर चले । अदालत भी जाना है
भुवन उनकी बाते सुन रहा होता है वो पास आता और कहता बेटा कल तूफान की वजह से सारे रास्ते बंद हो गए है नही पता दो दिन भी लग सकते है और दो हफ्ते भी । और तुम्हारी गाडी खराब हो गई है जिसे संभालना मुश्किल है फिर भी मेने उसे गांव के एक मिस्त्री को दे दी है संभालने को जब तक तुम्हारे जाने का बंदोबस्त नही हो जाता तुम हमारे घर मेहमान बन सकते हो । और इस खूबसूरत गांव में घूम फिर सकते हो ।
हमे नही रुकना इस गांव में गंवार लोगो के साथ काजल कहती है।
कपिल उसकी तरफ को घूर कर देखता है ।
मम्मी रुक जाते है ना , देखे कितना प्यारा गांव है यहां की सुबह कितनी प्यारी है वो देखे कितने मजे से सूरज पहाड़ो के बीच से उपर आ रहा है । कितनी मधुर हवा चल रही है ।
कपिल , काजल से कहता है " काजल हमारे पास रुकने के सिवा कोई रास्ता नही है मेने फोन भी लगाया लेकिन टावर नही आ रहे है अब हमे यही रुकना पड़ेगा जब तक रास्ता साफ नही हो जाता "
आखिर मै काजल मान जाती और भुवन के साथ उसके घर चलती ।
भुवन के घर उसकी पत्नि विमला और एक दस साल का बेटा अमन रहते है ।
विमला देखो शहर से कोन लोग आए है कुछ नाश्ता पानी लाओ कुछ खाना बनाओ । भुवन कहता है
विमला मेहमानो को देख काफी खुश होती है और उनके लिए चाय बनाती है l
सब लोग चाय पीते । ईशान और अमन बाहर खेलने चले जाते है । ईशान बेटा मिट्टी में मत खेलना वरना बैक्टीरिया हाथ पर लग जाएंगे जो तुम्हे बीमार कर देगें । काजल कहती है ।
भाभी जी आप परेशान मत हो मिट्टी में खेलने से कोई बीमार नही होता अगर ऐसा होता तो सारे गांव के बच्चे अब तक बीमार होकर मर जाते ये तो शहर वालो का भ्रम है । गांव वालो की जिंदगी तो मिट्टी से शुरू होकर मिट्टी पर ही खत्म हो जाती है भुवन कहता है ।
कपिल मन ही मन मुस्कुराता है क्योंकि आज तक ये बात वो अपनी पत्नि को हजार बार समझा चुका था ।
थोड़ी देर बाद दोपहर हो जाती है । गांव में अक्सर दोपहर में सन्नाटा पसरा होता है सिर्फ परिंदो की आवाजे कानो में सुनाई पड़ती और तेज हवाओं की ।
विमला रसोई घर में लकड़ी जलाकर रोटियां सेंक रही होती है । जिसे बाहर खड़ी काजल देख कर कहती है आपके घर गैस नही है आप इतनी गर्मी में इतनी आगी के सामने बैठी हम सब के लिए खाना बना रही है ।
ये सुन विमला मुस्कुराती और कहती भाभी जी ये चूल्हा और इस पर बनी रोटी ही तो गांव की असल पहचान है अगर गांव में भी गैस आ गई तो फिर गांव को गांव कोन कहेगा और गांव की औरते भी शहर की औरतों की तरह आलसी हो जाएंगी । आप जाकर बैठे मै खाना लाती हू।
कपिल अपनी पत्नि काजल से कहता है " देखा तुमने कैसे वो उस छोटे से रसोई घर में हम सब के लिए खाना बना रही है ये जानते हुए भी की हम लोग कोई उसके अपने नही है ये होता है गांव वालो का अपनापन और एक तुम मेरे दोस्तो के लिए चाय भी नही बना सकती हो "
वो एक अनपढ़ और गंवार औरत है उसके पास ये सब करने के अलावा कोई और रास्ता नही है काजल कहती है ।
सब लोग खाना खाते और सो जाते है ।
शाम को जब सूरज ढलने लगता है तब काजल और कपिल ढलते सूरज को देखते
कितना प्यारा नजारा है ना कपिल , तुम्हे याद है कॉलेज के दिनो में हम अक्सर छत पर चढ़ कर डूबते सूरज को देखा करते थे । आज मुझे वही दिन याद आ गए वो देखो पंछी अपने घोसलो में लोट रहे है और किसान अपने घरों को ।
सही कहा काजल मुझे भी आज कई सालो बाद कॉलेज के दिनो की याद आ गई । वो दोनो एक दूसरे के साथ खडे होकर घंटो तक डूबते सूरज को देखते रहे जब तक सूरज डूब नही गया और चारो तरफ अंधेरा ना फेल गया ।
काजल छत से नीचे आकर , दीदी लाइट जला दो अंधेरा हो गया ।
कपिल उसके मूंह से ये सुन हसने लगता है तभी विमला लालटेन जलाती और उसे एक जगह टांग देती है ।
भाभी ये रही हमरी लाइट जो सुबह भोर तक जलती रहेगी । विमला कहती है
अन्दर आकर काजल कपिल से कहती है । यार कपिल यहां तो इतना अंधेरा है कही कोइ चोर डाकू आ गया तो या फिर कोई जंगली जानवर ।
कोई नही आएगा यही है गांव वालो की दुनिया जिसमें वो खुश रहते है ।
अगली सुबह पांच बजे चुड़ियो की आवाज़ से काजल की आंख खुल गई । कपिल इन्हे चुप कराओ । काजल कहती
कपिल , ये कोई शहर का अलार्म नही है जिसे अपने हिसाब से बंद कर दिया जाए ये प्राकृतिक अलार्म है जो बता रहा है कि सुबह हो गई है उठ जाओ और अपने अपने कामों पर जाओ ।
देखो आधे गांव वाले तो उठ भी गए । और एक हम लोग है दस बजे सोकर उठते है और बारह बजे काम पर जाते है ।
उठ गए आप लोग भुवन कहता है । चलते है नाश्ता करने फिर मैं आपको गांव घुमा कर लाऊंगा । ये सुन ईशान खुशी से झूम उठता है
नाश्ता करके सब लोग गांव घूमने जाते है । गांव का सुबह का नजारा किसी जन्नत के नजारे से कम नही होता वो पहाड़ो के बीच से निकलता सूरज, वो ठंडी मदहोश कर देने वाली हवा, वो आम के पेड़ो पर बैठी कोयल की मधुर आवाज कू ,, कू,, कू ।
वो किसानों का अपने कंधे पर रखी कुल्हाड़ी और साथ मै चलते उनके बैल , वो लहलहाते खेत जिसमें फसल हवा के द्वारा निरत्त्य करती है ।
वो कच्ची सड़के , वो उड़ती धूल वो खेतो मै अपने किसान पतियों का हाथ बटाती महिलाए । वो पेड़ो मे पड़े झूले जिनपर बच्चो की भीड़ लगी होती है की एक के बाद एक । वो बहती नदी जिसमे बच्चें और बूढ़े सभी नहाते और गांव की औरते उनमें कपड़े धोती ।
ऊंचे ऊंचे आसमान को छूते दरख़्त और उनपर हजारों पंछियों का बसेरा ।
ये सब नजारा देख काजल को भी गांव अच्छा लगने लगा वो देखती कि कैसे यहां की औरते अपने पतियों की इज्ज़त करती उनके साथ उनके घर ओर खेत में हाथ बाटती । नदी से पानी भर कर लाती चूल्हे पर गर्मी में रोटी बनाती इतने इतने बच्चों को एक साथ पालती फिर भी उफ तक ना कहती ।
थोड़ी देर बाद काजल और कपिल दोनो हाथ थामे हुए उन लोगों से अलग हो जाते ओर एक खेत मै पहुंच जाते दोपहर हो चुकी थी ।
तभी वो देखते की एक औरत अपने सिर पर कुछ लिए आ रही थी और एक आदमी जो उस खेत मै काम कर रहा था उसे अपनी तरफ आते देख खुश होता है ।
आ गई तुम काफ़ी देर करदी आज खाना लाने में उस आदमी ने उस औरत से कहा ।
वो दरअसल मेहमान आ गए थे और जो भात सब्जी मैने बनाई थी अम्मा ने उनको खिला दी । इसी लिए मेने आपके लिए दोबारा भात बनाए और ले आई ।
अरे भाग्यवान , प्याज नमक और हरी मिर्च ले आती मै वही खा लेता और ठंडा पानी पीता मिट जाती सारी भूख ।
उसके बाद उन दोनो ने एक दूसरे को अपने हाथो से खाना खिलाया ।
पैड के पीछे छुपे काजल और कपिल उन दोनो के आपसी प्रेम को देख कर सोचने लगें की ये गंवार है या हम जो हमेशा लड़ते ही रहते है और एक दूसरे का काम करना गुलामी समझते है ।
थोड़ी देर बाद वो लोग घर आ जाते है । तभी वो देखते है की उनका बेटा और भुवन का बेटा आपस में बातें करते है ।
भुवन का बेटा कहता है तुम शहर में रहते हो फिर तो तुम्हारा बहुत बडा घर होगा मेरे घर से भी बडा
ईशान , कहता है हा मेरा घर तुम्हारे घर से भी बडा है लेकिन वो घर तुम्हारे घर जैसा खुशहाल नही है । जहा तुम्हारी मां तुम्हारे पिता की बराबरी करती हो और तुम्हारे पिता तुम्हारी मां की । तुम्हारे माता पिता आपस में कितना प्यार करते है तुम्हारी मां तुम्हारे पिता के घर आने पर उनके लिए खाना बनाती है और तुम्हारे पिता भी उनकी मदद करते है और वो दोनो कभी एक दूसरे से झगड़ते भी नही है ना ही कभी तुम्हे बाटने की बात करते है ।
लेकिन मेरे उस बड़े घर में ये सब होता है जिससे मैं तंग आ गया हू मुझे भी तुम्हारे जैसे माता पिता चाहिए क्या तुम मुझे अपने माता पिता बेचोगे मेरे पास एक गुल्लक है जिसमें मैं पैसे जोड़ता हू तुम वो गुल्लक लेलो और मेरे सारे खिलोने भी लेलो लेकिन मुझे आपस में प्यार करने वाले माता पिता देदो । ईशान कहता है
पीछे अपने बेटे की बाते सुन काजल और कपिल अन्दर कमरे में जाकर खूब रोते है और कहते है ये हमने क्या कर दिया । हम दोनो एक दूसरे की बराबरी करते रहे एक दूसरे का काम करना गुलामी समझते रहे और हमारा बेटा ये सब देखता रहा और आज उसे हम नही चाहिए बल्कि विमला और भुवन चाहिए क्योंकि वो एक अच्छे माता पिता है और हम नही उन्हे खरीदने के लिए वो अपनी गुल्लक और खिलोने दे रहा है ।
सही कहा था कपिल तुमने गांव की दुनिया बहुत अलग है शहर की दुनिया से यहां की औरते हो या मर्द सब अपने हिस्से का काम एक कर्तव्य समझ कर करते है ना की एक दूसरे की गुलामी समझ कर । माना की यहां की औरते और मर्द पढ़े लिखे नही है , दुनिया का किताबी ज्ञान नही है लेकिन ये जानते है की जिंदगी कैसे जी जाती है ये जिंदगी हस्ते गाते गुजारने का हुनर बाखूबी जानते है ।
ये चंद रोज़ जो हमने इस गांव की दुनिया में बिताए इन्होंने हमे वो सबक सिखा दिया जो शहर अब तक ना सिखा पाया कि कैसे एक दूसरे का खयाल रखा जाता है केसे एक चार दिवारी के बने मकान को घर बनाया जाता है । आज से जब भी तुम ऑफिस से थके हारे घर आओगे तो मैं खुद तुम्हे खाना गर्म करके दूंगी इस लिए नही की तुम मेरे पति हो और मैं तुम्हारी गुलाम बल्कि इस लिए कि पत्नि होने के नाते ये मेरा धर्म और कर्तव्य है की मैं तुम्हे पानी और खाना दू गर्म करके भले ही मैं एक पढ़ी लिखी डॉक्टर ही क्यू ना हू । काजल गले लग कर कहती है।
मै भी तुमसे वादा करता हू जब तुम थकी हुई होगी या फिर बीमार होगी तब मैं खुद घर के काम कर लिया करूंगा बिना ये सोचे की मै आदमी हू और ये मेरे करने का काम नही है जबकि मकान को घर बनाने में परिवार के हर सदस्य को अपनी भूमिका निभाना पड़ती है
ये कह कर दोनो ने एक दूसरे को गले लगा लिया ।
तभी भुवन आता और कहता है कि आपकी गाड़ी और रास्ता दोनो सही हो गाए है आप चाहे तो जा सकते है अपने घर और अगर गांव की दुनिया को और जानना चाहें तो रुक भी सकते है कि कैसे हम लोग शहर के भीड़ भाड़ से दूर प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके अपनी ज़िंदगी को खुश हाल और मुकम्मल बनाते है यहां
कोई किसी की बराबरी नही करता सब अपने अपने कामों में तजुर्बेकार है चाहे वो मर्द हो या औरत ।
उसके बाद वो तीनो घर आ जाते है और ईशान को बताते है की वो तलाक नही ले रहे है ये सुन कर वो उछल कूद करता है । अब वो मकान घर बन चुका था जहा दोनो को एक दूसरे की तकलीफ और परेशानी का एहसास होता है । और दोनो एक दूसरे की दिल से इज्जत करते
प्रितियोगिता हेतू लिखी कहानी
Shrishti pandey
21-Mar-2022 10:38 AM
Bahut badhiya
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Punam verma
21-Mar-2022 08:28 AM
सुन्दर रचना
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Abhinav ji
21-Mar-2022 07:45 AM
बहुत खूब
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