Sangeeta singh

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बावरा मन

बावरा मन कहां वश में रहता है ,हर वक्त कोई न कोई सपना देखता ही रहता।
होश संभालते ये मन कल्पनाओं की उड़ान लिए पता नहीं क्या क्या सपने संजो लेता है।
मिताली के पिता  का तबादला हरिद्वार से जगदीशपुर हो गया था। उन्हें क्वार्टर एलॉट कर दिया गया था।
हरिद्वार की मिताली के लिए जगदीशपुर एक कस्बा था ,उसे यह जगह जरा भी पसंद नहीं थी।पिता ने बहुत कोशिश की थी  ट्रांसफर रुकवाने के लिए लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
मिताली अपने माता पिता की इकलौती लाडली संतान थी। हरिद्वार से ही उसने  वनस्पतिशास्त्र में परस्नातक किया था ,अब  वह नेट जेआरएफ की तैयारी कर रही थी । 
मिताली की मम्मी की आस पड़ोस में अच्छी पहचान हो गई थी। नई जगह होने के कारण पड़ोसी उनकी हर तरह से मदद कर रहे थे।
"आज शुभम आ रहा है" _,मिताली की मां ने मिताली को बताया।
तो क्या?_शुष्क आवाज में मिताली ने कहा।
अरे वो बहुत अच्छा लड़का है,उसकी मां बता रही थी कि वह लखनऊ के नेशनल बोटेनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट में साइंटिस्ट है।
तो क्या,तुम मुझे उसके बारे में क्यों बता रही हो?
मिताली की मम्मी को उसका इस तरह से जवाब देना पसंद नहीं आया,इसलिए  वे बिना बोले ही अपने काम में लग गई।
मिताली भी कमरे में जाकर अपनी पढ़ाई में लग गई।
शुभम बहुत स्मार्ट और हंसमुख था,उसके आए दो दिन हो गए थे ,मिताली की मम्मी अक्सर उनके घर जाती घंटों बैठक चलती रहती।
अभी तक मिताली ने उसे देखा नहीं था ,और अब तो उसकी मां भी गलती से शुभम का जिक्र नहीं करती।
वो दिन शायद मिताली की जिंदगी बदलने वाला था।शुभम समोसा लेकर आया ,चाय और समोसा का साथ , चटोरों को खूब भाता है।मिताली को समोसे बहुत पसंद थे ,तो शुभम की मम्मी  ने शुभम से कहा _जा बेटा मिताली को भी समोसे दे आ,और उसको पढ़ने में भी कुछ गाइड कर दे।
बेचारी तैयारी कर रही है ,तो ज्यादातर घर में रहती है।
मिताली की मां ने कहा _हां बेटा ,यहां वो अकेली पड़ गई है,सभी दोस्त उसके छूट गए हैं,तुम्हारी कंपनी शायद उसे अच्छी लगे।
मिताली कमरे में खड़ी किसी से बात कर रही थी कि शुभम पीछे से दबे पांव आकर उसके पीछे खड़ा हो गया,बात करने के क्रम में ज्यों ही वो पीछे मुड़ी एक अजनबी को देख एकदम से घबरा गई,फोन उसके हाथ से छूटते छूटते बचा।
संभलते ही वह बहुत तेज बिफर पड़ी _ये क्या तमाशा है ,ऐसे कोई किसी के कमरे में आता है,कौन हैं आप?
सॉरी , आप बात कर रही थीं तो मैने डिस्टर्ब करना ठीक नहीं समझा ,ये मम्मी ने आपके लिए समोसा भिजवाया था ,खा लीजिएगा,आपकी मम्मी हमारे घर में हैं।

मुझे नहीं खाना?मम्मी को भेज दीजिएगा,जब देखो तब गायब रहती हैं।
शुभम चला गया।गुस्से में बेकाबू मिताली ने उस दिन अपनी मम्मी को बहुत खरी खोटी सुनाया।
मिताली की मम्मी जानती थी कि ये सब मिताली के अकेलेपन ,अहंकारी प्रवृति के कारण चिड़चिड़ापन हावी हो रहा है।
मिताली की मम्मी ने अगले दिन मिताली के अभद्र बर्ताव के लिए  शुभम से माफी मांगी।
शुभम ने कुछ नहीं कहा।
लेकिन इधर मिताली भी  आत्मग्लानि महसूस कर रही थी।माफी भी मांगनी चाहती थी लेकिन उसका अहं आड़े आ रहा था।
 वह बालकनी में खड़ी हो ,शुभम को निकलते देखती ,उससे बात करना चाहती लेकिन शुभम उसकी ओर देखता भी नहीं।अब वो शुभम के घर भी चली जाती अपनी  मम्मी के साथ।
शुभम की बेरुखी उसके अहंकार को तिल तिल तोड़ रही थी।
शुभम की छुट्टी खत्म हो रही थी ,आखिरकार एक दिन शुभम से पढ़ाई की बात  पूछने के बहाने वो शुभम के घर पहुंच गई ,।
दरवाजा खोलने में देर हुई ।
शुभम उस समय अकेला था ,शायद  अंदर  नहा रहा था ,थोड़ी देर में जब उसने दरवाजा खोला तो वह तौलिए में था  सामने मिताली को देख वो कपड़े बदलने कमरे में भागा। मिताली उसके पीछे पीछे कमरे में चली गई।
क्यों तुम मुझे इस तरह इग्नोर कर रहे हो _मिताली जोर से बोली।
मैं कहां तुम्हें इग्नोर कर रहा हूं_शुभम ने कहा।तुम ड्राइंग रूम में बैठो मैं आता हूं।
मिताली जाकर कमरे में बैठ गई।थोड़ी देर में शुभम आकर सामने बैठ गया । मिताली की आंखों में देखता हुआ शांत स्वर में बोला क्या बात है?
तुम इतना इग्नोर क्यों कर रहे हो , मैं मानती हूं कि मेरा व्यवहार अच्छा नहीं था लेकिन मैं क्या करूं मुझे तुम्हारा अचानक से आना बड़ा अजीब लगा था, मैं डर गई इसलिए भला बुरा कह दिया।
शुभम ने हंसकर कहा कोई बात नहीं।क्या पूछने आई हो।
 एग्जाम के बारे में बाते शुरू होते मिताली शुभम के बारे में पूछने लगी ।
शुभम बताता गया,बहुत देर हो गई थी ,शुभम की मम्मी बाजार से वापस लौटी तो मिताली को देख बहुत खुश हुईं।
थोड़ी देर बाद मिताली घर वापस लौट गई।
आज मिताली बहुत कुछ थी ,घर  उसकी हंसी की खनक से गूंज उठा।
दूसरे दिन शुभम चला गया।
मिताली के मन में शुभम को लेकर नए जज्बात कायम हो गए थे,वह शुभम को पसंद करने लगी।
शुभम के घर जाकर एक बहू की तरह उसकी मम्मी की मदद करती ,वीडियो कॉलिंग जब शुभम करता तो अपनी  मम्मी और मिताली को देख खूब हंसता ,मिताली पूछती तो कहता ,मेरे नहीं रहने पर तुम मम्मी का बड़ा ख्याल रख रही हो,तो उसकी मम्मी मुस्कुरा कर कहती _हां ,मिताली के रूप में मुझे बेटी मिल गई है।शुभम के पापा के दिल में भी मिताली अपनी जगह बना चुकी थी।

एक दिन शुभम ने मिताली को फोन किया_हैलो मिताली कैसी हो?
मिताली ने जवाब दिया _,जैसी छोड़ कर गए थे ,वैसी ही हूं।
सुनो मिताली मैं कल आ रहा हूं,मम्मी को मत बताना , मैं उन्हें सरप्राइज दूंगा।
अच्छा_मिताली मन ही मन मुस्कुरा उठी।
मुझे नहीं बताओगे....बड़े वो हो,शरारती अंदाज में
मिताली ने कहा।
तभी किसी के बुलाने की आवाज से शुभम ने फोन ये कहते हुए रख दिया की अभी कुछ काम निपटा लूं,फिर परसों तो आना है।
मिताली के पैर जमीन पर नहीं थे ,मम्मी पापा से उसकी खुशी छिप नहीं रही थी,पूछने पर इतना ही बताया कल  शुभम आ रहा है,पर मम्मी आप शुभम की मम्मी को नहीं बताना।
रात भर शुभम के साथ उसका बावरा मन हजारों सपने देख रहा था।
सपने में कभी वो शुभम से रूठती ,कभी शुभम मनाता,कभी देखती शुभम दूल्हा बना उसके घर के पास खड़ा है ,पूरी रात सपनों में बीती ।
अगले दिन सुबह से ही मिताली शुभम के घर को सजाने संवारने में लग गई।शुभम की पसंद के सभी पकवान बनाया।शुभम की मम्मी पूछती कोई आने वाला है क्या?
मिताली शर्मा कर टाल जाती _,नहीं आंटी बस आज मेरा मन कर रहा कि आपको अच्छे अच्छे पकवान बना कर खिलाऊं।
करीब 11 बजे शुभम आया, कार आकर रूकी कार से शुभम उतरा ,वह दौड़ कर गले लग गई ,और फुसफुसा कर बोली तुम्हारा सरप्राइज देने का अंदाज बड़ा अच्छा है जी, शुभम मुस्कुरा उठा।तभी उसने देखा पीछे पीली साड़ी में लिपटी एक युवती खड़ी थी,मिताली शुभम से दूर छिटक कर खड़ी हो गई ।
ये कौन है?_मिताली ने पूछा।
यही तो सरप्राईज था,मेरी जान इनसे मिलो,युवती की ओर इशारा करते हुए शुभम ने कहा _ये नताशा है मेरे साथ ही काम करती है, मैं और नताशा एक दूसरे से प्यार करते हैं।मम्मी पापा से इसे मिलाने लाया था ।
मिताली को कुछ सुनाई नहीं दे रहा था,उसका मन तो अपने और शुभम को लेकर कितनी उड़ान उड़ चुका था।
शुभम नताशा से कह रहा था_नताशा ये मेरी बहुत अच्छी मित्र है मिताली,अभी एग्जाम की तैयारी कर रही है।

मिताली के कानों में,दिमाग में यही गीत गूंज रहा था।
,बावरे से मन की देखो बावरी हैं बातें -
बावरी सी धड़कने हैं बावरी हैं साँसें
बावरी सी करवटों से निंदिया दूर भागे
बावरे से नैन चाहें बावरे झरोखों से
बावरे नज़ारों को तकना
बावरा मन देखने चला एक सपना






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7 Comments

Punam verma

22-Mar-2022 09:24 PM

nice

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Shrishti pandey

22-Mar-2022 09:15 AM

Very nice

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Abhinav ji

22-Mar-2022 08:48 AM

Nice

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