सवाल
सवाल
शायद खाली कमरे में मद्धम-मद्धम टिक-टिक सी शोर करती घड़ी के काटों की गति से भी अधिक तीव्र..
शायद खिड़की के बाहर चमकती-कडकती बिजलियों के साथ काली-गरजती बादलों की बरसती बूंदों से भी अधिक तीव्र..
शायद खुशनुमा महक सी पतली चादर में सिमटी पुरवाई की ठंडी हवाओं से होती सिहरन के एहसासों से भी अधिक तीव्र..
शायद खुद को अकेले पा मन में एक-एक कर के दिल पे लगे हर पल के आते मेरे नये-पुराने ख्यालों से भी अधिक तीव्र..
सवाल पे सवाल किए जा रहा दिल मेरा, बदलते, इनकारते, बहलाते मेरे हर नये
असफल होते इरादों से भी अधिक तीव्र.. !!
- ऋताम्भरा
Renu
23-Mar-2022 04:24 PM
बहुत सुंदर प्रस्तुति
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Ritambhara Singh
26-Mar-2022 10:32 PM
😊🙏
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Gunjan Kamal
23-Mar-2022 04:12 PM
शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻
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Ritambhara Singh
26-Mar-2022 10:30 PM
😊🙏
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Ritambhara Singh
26-Mar-2022 10:31 PM
😊🙏
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Swati chourasia
23-Mar-2022 03:42 PM
सुंदर रचना 👌
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Ritambhara Singh
26-Mar-2022 10:31 PM
😊🙏
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