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लेखनी प्रतियोगिता -25-Mar-2022

पर्दा 

जीवन के हर सुख-दुःख को
पर्दा ही तो ढकता है 
ये पर्दा ही है जो जन्म से मृत्यु 
तक साथ हमारे रहता है 

ढक देह ये स्त्री की
आबरू उसकी बचाता है 
अगर लगा हो घर में तो
शोभा में चार चांद लगाता है 

आँखों में पर्दा,चहरे पर पर्दा 
होठों पर है खामोशी का पर्दा 
अगर देखो तो दिल भी है 
एक पर्दा जो दर्द हमारे छिपाता है 

देखो जो तुम आसमान को
वहाँ भी है बादल का पर्दा 
जिसके पीछे शर्मा कर 
चाँद कहीं छिप जाता है 

उत्तर में जो खड़ा हिमालय 
भारत माँ का पर्दा है 
आ रही उत्तरी हवाओं से 
माँ की रक्षा करता है 

कोई झूठ के पर्दे से 
गलती अपनी छुपाता है 
तो कोई सच्चाई की कलम से 
झूठ से पर्दा उठाता है 

ले सहारा पर्दे का हर
कोई अपने को ढकता है 
ये पर्दा ही है जो जीवन के
सब दुःख दर्द भी ढ़क लेता है

    श्वेता दूहन देशवाल
मुरादाबाद उत्तर प्रदेश 

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9 Comments

Shrishti pandey

26-Mar-2022 08:22 PM

Very nice

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Punam verma

26-Mar-2022 08:25 AM

Nice

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Abhinav ji

26-Mar-2022 07:41 AM

Very nice👍

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