क्या कसूर था आखिर मेरा ? भाग 11
मंजू तेरे हाथ में मेहंदी कितनी रची हैं । जीजू बहुत प्यार करते है तुझसे । भगवान करे ये प्यार ऐसे ही रहे हमेशा । अंजली कहती है ।
चल अंजली अब तू भी तैयार हो जा बस बारात आने वाली होगी । मंजू अंजली से कहती है ।
बस तुझे तैयार कर दू फिर में तैयार हो जाऊंगी अंजली कहती है।
मंजू सुन ना , तुझसे चोटी बांधना आती है , यार पिताजी से बंधवाती हू मैं , मुझसे आती नही है बांधना , अब यहां पिताजी को कैसे लाऊ । अंजली कहती है।
झल्ली इतनी बडी हो गई और तुझसे अभी तक अपनी चोटी बांधना नही आई । कल को ससुराल में भी क्या काका को बुलाएगी । मंजू कहती है।
चल अब ज्यादा उछल मत साफ साफ बता आती है या नही । अंजली कहती है
हा आती है पहले कपड़े तो पहन वो तो बाद की बात है । मंजू कहती ।
अंजली कमरे में जाकर कपड़े बदलती है जब वो साड़ी पहन कर बाहर आती है ।
मंजू उसे देख आश्चर्यचकित हो जाती है ।
क्या हुआ ऐसे क्यू देख रही है । अंजली ने पूछा
यार अंजली तू कितनी खूबसूरत लग रही है इस साड़ी में आज जरूर कोई गिरने वाला है । ये साड़ी तुझ पर कितनी प्यारी लग रही है । सच सच बता अमित ने दी है ना मंजू उसके कान में पूछती है।
अंजली शर्मा कर हंसते हुए हां में गर्दन हिलाती है ।
छुपी रुस्तम तूने मुझे बताया भी नही की अमित ने तुझको साड़ी दी है । चल माफ किया आज मेरी शादी है सारी बाते माफ की मंजू हस्ते हुए कहती है ।
अंजली इस साड़ी पर तू अपने बाल खोल के रख देखना अमित तेरा दीवाना ना हो जाए तो कहना मंजू अंजली से चुटकी काटते हुए कहती है ।
क्या मंजू तू भी सबके सामने आज तेरी शादी नही होती और तू दुल्हन ना बनी होती तो बताती मैं ।
इस तरह अंजली तेयार होने लगती है ।
वही दूसरी तरफ । हा भाई राकेश तू तेयार हुआ की नही मौसा जी कबसे बाहर हमारा इतंजार कर रहे है । अमित कहता है।
पापा से ज्यादा तुझे जल्दी हो रही है क्यू ना ? सही कहा ना मेने राकेश कहता है
क्या भाई कुछ भी मत बोल ?, मौसा जी मुझसे दो बार पूछ चुके है कि राकेश तैयार हुआ की नही अब तक घोड़ी ने पांच किलो चने खा लिए है तेरे इंतज़ार में खडे खडे । अमित कहता है
शर्मा मत मेरे भाई जो बात है वो कह दे । कह दे की तू अंजली को उस साड़ी में देखना चाह रहा है जो तूने उस दिन मुझसे छिप कर ली थी । राकेश कहता है ।
तुझे कैसे पता कि वो साड़ी मैने अंजली के लिए ली थी क्या पता मां के लिए ली हो? अमित कहता है।
बस कर भाई कितना झूट बोलेगा । मौसी के लिए अगर तू वो साड़ी खरीदता तो उसको घंटो प्यार भरी नजरो से नही देखता जैसे कोई महबूब अपनी महबूबा के लिए कोई उपहार लेते वक्त उस उपहार को देखता है ।
मेने भी बहुत खेल खेले है । मेरे सामने चलाकी नही चलेगी । राकेश कहता है।
चल अच्छा अगर तूझे पता है तो क्यों मेरे सब्र का इम्तिहान ले रहा है जल्दी तैयार हो जा और चल घोड़ी पर बैठने । अमित कहता है
अब आया ना ऊंट पहाड़ के नीचे । राकेश ने हंसते हुए कहा ।
तभी राकेश की मां कमरे में आती है । राकेश बेटा कितना समय लगेगा तुम्हारे पिताजी गुस्सा हो रहे है मुहूर्त का समय निकले जा रहा है जल्दी करो ।
देखे ना मौसी कब से मैं इसको समझा रहा हू ये है की मेरी बात ही नही सुन रहा है । अमित कहता है।
बता दू मां को क्यू इसे जल्दी हो रही है?मुझे घोड़ी चढ़ाने की । राकेश ने अमित की तरफ देखते हुए कहा ।
क्यू क्या हुआ अमित सब सही तो है?। मौसी ने पूछा।
अमित ने राकेश की तरफ़ घूरते हुए कहा । नही नही मौसी भला मुझे क्यू जल्दी होगी मै तो बस चाह रहा हू की शुभ काम मुहूर्त पर ही हो जाए कही में देर हो गई और मुहूर्त निकल गया तब ।
कुछ नही निकलेगा । चलो सब बाहर मैं तैयार हू राकेश कहता है ।
उसके बाद राकेश को घोड़ी पर बैठाया जाता और बैंड बाजे के साथ बारात आगे बड़ती ।
उधर अंजली भी अमित को देखने के लिए बेताब हो रही होती है ।
थोड़ी देर बाद किसी ने कमरे में आ कर बताया की बारात आ गई है ।
ये सुन मंजू के दिल की धड़कने तेज होने लगी और वो बैठ गई । क्या हुआ मंजू ? अंजली ने पूछा
कुछ नही, बता नही सकती कि क्या हुआ मंजू कहती है।
चल अच्छा तू यहां बैठ और मैं अपने जीजू को देख कर आति हू की वो कैसे लग रहे है । अंजली कहती और बाहर भाग जाती ।
मंजू उसे रोकते हुए पागल कही की अमित को देखने जा रही है और कह रही है कि जीजू को देख आऊ ।
अंजली बाहर उसे देखती लेकिन वो उसे कही नजर नही आता काफी देर तलाशने के बाद वो मूंह फूला कर मंजू के कमरे में वापस आ गई ।
क्यू क्या हुआ देख आई अपने जीजू को ? मंजू ने मजा लेते हुए कहा । बता कैसी शेरवानी पहनी है उन्होने कैसे लग रहे है। लग रहे है ना किसी हीरो की तरह ।
मुझे नही पता किस रंग की शेरवानी पहनी है उन्होने और वो कैसे लग रहे है अंजली गुस्से में कहती है ।
क्या हुआ तुझे तू तो अपने जीजा को देखने गई थी तो फिर देखा क्यू नही मुझसे तो यही कहा था तूने जाते हुए मंजू पूछती है।
जीजा जी को नही गई थी देखने में तो उस अ ,,,,, । कहते कहते रुक जाती है अंजली ।
रुक क्यू गई बता दे की अमित को देखने गई थी क्या हुआ दिखा नही ।मंजू पूछती है।
दिख जाता तो मेरा चेहरा उदास क्यू होता । मुझे लगता है आया नही है मुझे साड़ी में देखने का वादा कर खुद ही नही आया । चल छोड़ भी मैं कोनसा मरे जा रही हू उसे देखने के लिए । वैसे भी आज तेरी शादी है मैं उदास नही होना चाहती हू ।
तभी दरवाजे पर एक छोटी बच्ची आती और पूछती अंजली दीदी आप हो ।
जी मैं ही हू । अंजली कहती है
ये एक अंकल ने दी थी चिट्ठी आप को देने के लिए । मेरे लिए मुझे कोन चिट्ठी दे सकता है अंजली ने पूछा ।
मुझे नही पता दीदी उन्होने मुझे एक चॉकलेट दी और ये चिट्ठी आप को देने को कहा । अब मैं जा रही हू ।
रुको । अंजली ने आवाज दी लेकिन वो बच्ची भाग जाती है ।
खोल कर देख क्या लिखा है क्या पता अमित के बारे में हो । मंजू कहती है अंजली से
अंजली खोलती और पढ़ती जिस पर लिखा होता है ऊपर छत पर आ जाओ मुझे तुम्हे अमित के बारे में बताना है ।
हे । भगवान जरूर अमित को कुछ हुआ है तभी वो शादी में नही आया मुझे जाना होगा मंजू ये कह कर वो छत की तरफ़ दौड़ी ।
छत पर काफ़ी अंधेरा था । कोन हो तुम अमित कहा है और कैसे जानते हो तुम मुझे । अंजली ने एक सास में सब कह डाला ।
तभी किसी ने उसकी आंखों पर हाथ रखा और कहा मैं अमित ।
लेकिन अंजली घबराहट में कहती अमित को छोड़ दो अगर वो तुम्हारे पास है उसे जाने दो बताओ तुम्हे क्या चाहिए ।
अंजली के मूंह से ये बाते सुन अमित की हसी निकल जाती ।
अंजली समझ जाती है की ये अमित ही है । वो उस पर गुस्सा होती और वहा से जाने लगती लेकिन तभी अमित अंजली का पीछे से हाथ पकड़ता ।
जैसे ही अमित ने अंजली को स्पर्श किया मानो अंजली वही थम सी गई उसे उसका स्पर्श करना काफ़ी अच्छा लगा । वो भूल बैठी की अमित ने उसे डराया था ।
अमित नीचे बैठ कर अपने कान पकड़ कर कहता है मेरा इरादा तुम्हे तंग करने का नही था मैं तो बस तुम्हे तुम्हारे देखने से पहले देखना चाहता था ।
इसी लिए तुम्हे वो चिट्ठी भेज कर उपर बुलाया में जानता नही था की तुम उस चिट्ठी की पढ़कर पागलों की तरह दौड़ी चली आओगी । चलो इस हादसे से ये तो साबित हुआ की तुम मेरी कितनी परवाह करती हो या फिर मैं इसे मोहब्बत समझु मेरे लिए तुम्हारे दिल में ।
ऐसा नही है मोहब्बत वोहब्बत नही है वो तो मैं बस डर गई थी कि कही तुम्हे कुछ हो ना गया हो । अंजली कहती है
चलो अच्छा वादा करता हू आइंदा ऐसा कुछ नही करूंगा जिससे तुम्हे डर लगे मैं अपनी मोहब्बत को डरा हुआ नही देख सकता । अमित कहता है ।
अंजली उसके मू्ह से प्यार भरी बाते सुन मुस्कुराती है ।
अंजली तुम आज बेहद खूबसूरत लग रही हो मानो ये साड़ी तुम्हारे लिए ही बनी हो ऐसा लग रहा है इस अंधेरी रात में चौदहवी का चांद मेरे सामने खडा हो । कही मुझे कुछ हो ना जाए ।
अंजली उसके मूंह से अपनी तारीफ सुन मुस्कुराती है । आप भी हैंडसम लग रहे है इस कुर्ते पायजामे में और गुलाबी पटके में ।
अब हमे नीचे चलना चाहिए काफी देर हो गई है । मंजू इतंजार कर रही होगी मेरा अंजली कहती है ।
थोड़ी देर और रुकते है फिर चलते है । अमित ने कहा ।
अमित , क्या तुम्हारे माता पिता भी आए है ? अंजली ने पूछा
ऐसा भला हो सकता है कोई मौसी अपने भांजे की शादी में ना आए और जब उन्हे अपने बेटे की होने वाली पत्नि से भी मिलना हो ।
अब नीचे चलते है। वरमाला का समय हो रहा होगा । अंजली कहती है।
अमित और अंजली जैसे ही सीढ़ियों के पास पहुंचते है और दरवाजा खोलते है तब उन्हे पता चलता है की बाहर से किसी ने दरवाजा बंद कर दिया है ।
वो दोनो दरवाजा खटखटाते है लेकिन नीचे काफी गदर हो रहा होता है जिस वजह से उनकी आवाज कोई सुन नही पा रहा होता है ।
अंजली , हे! भगवान ये क्या हो गया ये हम कहा फस गए पता नही कोइ खोलेगा भी या नही । ये सब तुम्हारी वजह से हुआ है अमित ना तुम मुझे छत पर बुलाते ना हम यहां फंसते ।
अंजली रोने लगती है । उसको रोता देख अमित घबरा जाता है । वो समझ नही पा रहा होता है कि क्या करे । वो उसे समझाता है कि उसके पास फ़ोन है वो अभी राकेश को फ़ोन करता है वो जरूर किसी को हमारी मदद के लिए भेजेगा ।
अमित , राकेश को फ़ोन लगाता है लेकिन उसका फ़ोन साइलेंट पर लगा होता है जिसकी वजह से उसे आवाज नही आती है । अमित ने कई बार फ़ोन लगाया लेकिन राकेश ने नही उठाया ।
अंजली रोने लगती है । उसे डर था कि कही किसी ने उसे एक अजनबी के साथ देख लिए तो वो खामखा बदनाम हो जाएगी ।
दूसरी तरफ मंजू की वरमाला का समय हुआ जा रहा होता है । अंजली कहा चली गई तू ,मंजू अपने आप से बोलती । वो बैठी सोच ही रही होती है कि उसके कमरे में वो बच्ची आती है जो अंजली के लिए चिट्ठी लाई थी ।
अंजली दीदी आप की दोस्त है ना उस बच्ची ने पूछा मंजू से ।
हा बेटा वो मेरी दोस्त है , क्या तुमने उन्हें कहीं देखा है ? मंजू पूछती है ।
वो बच्ची हस्ती है ।
बेटा हस क्यू रही हो । मंजू पूछती है
वो बच्ची कहती है ।" वो क्या है ना उपर छत पर अमित भैया के साथ थी तो मैंने बाहर से दरवाजा बंद कर दिया और वो दोनो उपर छत पर बंद हो गए अब मुझे बहुत मजा आ रहा है "
ये सुन मंजू कहती है " नालायक बच्ची ये तुमने क्या कर दिया तुम्हे पता है तुम्हारी ये नासमझी क्या कर सकती है "
मंजू दौड़ती हुई छुपते छुपाते छत पर जाती है । और दरवाजा खोलती है ।
बाहर से दरवाजा खुलता देख अंजली घबरा जाती है और दीवार के पीछे कही छुप जाती है।
मंजू दरवाजा खोल कर जैसे ही अन्दर आती है ।अमित उसे देख चेन की सांस लेता है । शुक्र है भगवान ने हमारी सुन ली वरना तो सवेरे तक हम छत पर ही रहने वाले थे ।
मंजू घबराते हुए , अंजली किधर है ।
मंजू की आवाज सुन , अंजली बाहर निकल कर आती ओर उसे गले लगा लेती है । अच्छा हुआ तू आ गई वर्ना मैं तो बहुत डर गई थी अंजली कहती है ।
लेकिन तुझे पता कैसे चला । अंजली ने पूछा
अरे वो बच्ची याद है तुझे जो तेरे पास चिट्ठी लेकर आई थी उसी ने तुझे छत पर अमित के साथ देख लिया था और बाहर से दरवाजा बंद कर दिया । उसी ने मुझे आन कर बताया ।
आज कल के बच्चे भी ना बस पूछो मत , अमित कहता है
चलो अब नीचे चलते है कही वो शरारती लड़की हमे दोबारा ना बंद कर दे ।
अमित ने हंसते हुए कहा । और वो लोग नीचे चले जाते है।
अंजली तुमने तो मुझे डरा ही दिया था कोई ऐसे भी रोता है जरा जरा सी बात पर अमित कहता है ।
तुम नही समझोगे अमित , ये गांव है यहां पर जरा जरा सी बात कब बडी बन जाती है पता नही लगता है अगर कोइ गांव वाला मुझे तुम्हारे साथ अकेले छत पर देख लेता तो तुम नही जानते कितनी बदनामी का सामना करना पड़ता मुझे और मेरे घर वालो को । वो तो शुक्र है भगवान का, कि मंजू आ गई वर्ना पता नही क्या होता ।
अंजली ने अमित से कहा ।
थोड़ी देर बाद वरमाला की रस्म शुरू हूई । राकेश को अमित ने गोदी में उठा लिया वरमाला के समय । लेकिन अंजली ने उसे आंख मार दी जिसकी वजह से वो कुछ समझ ना पाया और राकेश को नीचे फेंक दिया मोका देख कर मंजू ने वरमाला पहना दी ।
क्या अमित कैसी बॉडी बनाई है तूने , मेरा वजन नही उठा तुझसे राकेश कहता है ।
अमित , सॉरी भाई गलती हो गई हाथ फिसल गाया था । अमित ने बहाना बनाते हुए कहा ।
अमित का चेहरा देख अंजली की हसी निकल गई । उसे खुश देख अमित भी खुश हो जाता है ।
तभी अमित की मां ( सुनैना) आती है। बेटा अब मिल वा भी दे मेरी होने वाली बहू से कब तक छुपाएगा फोटो में तो देखा था मैंने उसको लेकिन यहां इतनी सारी लड़कियों में पहचान पाना थोड़ा मुश्किल है ।
मां , थोड़ा सब्र करो अभी में जिसके पास जाकर अपना ये रूमाल फेंकुगा समझ लेना वही लड़की है आपकी होने वाली बहू । अमित कहता है
थोड़ी देर बाद , अमित अपनी जेब से रुमाल निकाल कर अंजली के पास फेंक देता है ।
एक दम हीरा लड़की है मानना पड़ेगी मेरे बेटे की पसंद । सुनैना ने अपने पति रमाकांत से कहा । शक्ल तो अच्छी है बस सीरत भी अच्छी होना चाहिए रमाकांत जी कहते है ।
सुनैना मोका पा कर अंजली के पास जाती है ।
बेटा क्या मुझे एक ग्लास पानी मिल सकता है । सुनैना ने अंजली से कहा ।
अंजली , जी आंटी बिल्कुल , आप यहां रुके में अभी पानी लेकर आती हू ।
कितनी मधुर आवाज है तुम्हारी बेटा , सुनैना जी कहती है ।
अंजली मुस्कुरा कर पानी लेने चली जाती है ।
पापा मां किधर चली गई । अमित ने अपने पिता से पूछा
बेटा कहा जा सकती है अपनी बहू को परखने गई है वो देख सामने खड़ी है । उसके पिता ने कहा।
हे! भगवान मां तो अभी से उसे परखने लगी अमित कहता है ।
थोड़ी देर बाद सुनैना अपने बेटे के पास आती और कहती जैसी सूरत वैसी सीरत । मैने कई लड़कियों से पानी मांगा सबने एक दुसरे से कह कर टाल दिया । लेकिन अंजली खुद जा कर मेरे लिए पानी लेकर आई ।
तुम उससे बात कर लो और हम से भी मिल वा दो अगर वो भी तुमसे शादी करने को राज़ी है तो हम अभी दो दिन यहा रुकेंगे उसके घर हो आएंगे ।
अमित अपनी मां की मर्जी जान कर काफी खुश होता है । शुक्रिया मां , मेरी पसंद को अपनी पसंद बनाने के लिए मैं मोका मिलते ही उसको आप के बारे में बताऊंगा और ये भी की हम लोग उसके घर आना चाह रहे है ।
Dr. Arpita Agrawal
28-Mar-2022 06:38 AM
बेहतरीन अंश 👌
Reply
Sandhya Prakash
28-Mar-2022 02:22 AM
Nicely writen
Reply
Gunjan Kamal
26-Mar-2022 11:23 AM
बेहतरीन भाग👏👌🙏🏻
Reply