अजनबी
रूह दिल की बात समझती बहुत है
वो अजनबी सा लड़की मेरी अपनी बहुत है।
रूह से रुह का रिश्ता जब बन जाता है
उस अजनबी में भी अपनापन नजर आता है।।
उसका वो चेहरा अजनबी,अंजान सा,
दिल को मेरे भा जाता है कभी
चाहे दिल को लाख समझा लूं मैं ,
ये सीमाएं तोड़ जाता है सभी
जब ये किस्मत ने लिख ही रक्खा था,
मिल ही जाते कभी कहीं हम तुम।
काश हो जाय प्यार पहले सा,
फिर मिले बन के अज़नबी हम तुम।
जैसी आगे हो फिर तेरी मर्जी,
कुछ क़दम साथ तो चलें हम तुम।
प्यार अब भी दबा है दिल में कहीं,
वरना मिलते न फिर से यूं हम तुम।
जब मिले थे हम अजनबी ही तो थे...
धीरे धीरे वो मेरे दिल की धड़कन बन गये...
मेरी मुहब्बत को नज़र ऐसी लगी...
न चाहते हुए फिर से हम अजनबी बन गये...💔
अगर तुम अजनबी हो लगती क्यों नहीं
अगर तुम मेरी हो तो मुझसे मिलती क्यों नहीं
नील अरुण विश्वास
Nitish bhardwaj
29-Jun-2021 12:18 AM
वाह बहुत खूब
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Niraj Pandey
28-Jun-2021 11:26 PM
वाह 👌
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Pinky singh
28-Jun-2021 07:36 PM
बहुत खुब
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