लेखनी प्रतियोगिता -29-Mar-2022क्षणभुंगर जीवन
हे मानव तू इतना गुमांन क्यौ करता है।
अपने आगे हर किसी को तुच्छ समझता है।।
तू बुरे भले का भेद नहीं कर सकता है।
तू ऊपरवाले से भी तनिक नहीं डरता है।।
इस जीवन पर इतना गुमान क्यौ करता है।
तू हरबक्त अपने गुरूर में चूर रहता है।।
मूरख ऊपरवाले का कुछ तो डर कर।
ये तेरा जीवन है केवल क्षणभुंगर।।
Niraj Pandey
30-Mar-2022 10:16 AM
बहुत खूब
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Naresh Sharma "Pachauri"
30-Mar-2022 02:43 PM
धन्यवादजी
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Shrishti pandey
30-Mar-2022 08:08 AM
Very nice
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Naresh Sharma "Pachauri"
30-Mar-2022 02:44 PM
धन्यवादजी
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Abhinav ji
30-Mar-2022 07:41 AM
बहुत खूब
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Naresh Sharma "Pachauri"
30-Mar-2022 02:44 PM
धन्यवादजी
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