kanchan singla

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सरहदें

सरहदें इबादत हैं, सजदा हैं

वीरों के बलिदान की कहानी है

सम्मान और ताज की जुबानी है

ना मौसम, ना फिजाएं

ना सर्द हवाएं, ना तपती धूप

ना सर्दी, ना गर्मी, ना ये तूफानी बारिशें

आज तक तोड़ नहीं पाई हौंसला इनका

ये सरहदें बयां करती हैं 

वीरों के साहस की इसी कहानी को

इस धरती की माटी में मिला रक्त

इस धरती की पवित्रता को बयां करता है।।


प्रतियोगिता - दिनांक 29 मैच

लेखिका - कंचन सिंगला
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9 Comments

Niraj Pandey

30-Mar-2022 10:21 AM

बहुत खूब

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Gunjan Kamal

30-Mar-2022 09:02 AM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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Swati chourasia

30-Mar-2022 09:01 AM

बहुत ही सुंदर रचना 👌👌

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