सुरक्षा
सुरक्षा
‘शादी से पहले मैं कितनी आजाद थी। कॉलेज जाकर मैं क्या करती थी। यह कोई नहीं पूछता था। लेकिन अब केवल घर के पिंजरे में कैद होकर रह गई हूँ।’’
पड़ोसी राकेश नीना की फरियाद सुनकर कुछ कहता इससे पहले ही पिंजरे में बंद पक्षी पुकार उठा-‘‘हाय हलो..हाय...हलो।’’
‘‘अरे महेश, ये पक्षी कब ले आये ? अभी कल ही तो..।।
भई पता नहीं क्यों आजाद रहने वाले पक्षियों को पिंजरे में बंद देखकर मुझे बड़ा दु:ख होता है।
इसमें दु:ख की क्या बात है। महेश ने पत्नी नीना की ओर देखते हुए कहा। ‘‘कुछ जानवरों का जन्म कैद में रहने के लिए ही होता है क्योंकि वे वहीं ज्यादा सुरक्षित रहते हैं।’’